एलायंस टुडे ब्यूरो
लखनऊ: चक गंजरिया में बने कैंसर संस्थान को पांच साल हो चुके हैं. यहां एक नया पांच मंजिला ब्लॉक भी बनकर तैयार हो गया है। इसे अभी शुरू करने की योजना है। लेकिन डॉक्टर-स्टाफ की कमी इलाज में बाधा बनती जा रही है. आलम यह है कि करोड़ों के कैंसर संस्थान में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके कारण अल्ट्रासाउंड जैसे सामान्य परीक्षण भी नहीं हो पाते हैं।
कैंसर संस्थान की क्षमता 1200 बेड की होगी। इसमें पहले चरण में 700 बेड की भर्ती की जानी थी। वहीं, हाल ही में स्थायी निदेशकों को भ्रष्टाचार के चलते हटा दिया गया है। ऐसे में एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान को बनाया गया है। यहां पांच मंजिला ब्लॉक बनकर तैयार हो गया है। इसकी क्षमता 210 बेड की है। इसमें मरीजों के लिए 12 बेड का प्री-ऑपरेटिव वार्ड और 16 बेड का पोस्ट-ऑपरेटिव वार्ड भी होगा। अभी इसके उद्घाटन का इंतजार है। लखनऊ कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी लखनऊ कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी, 24 में से 8 ओटी तैयार, सर्जरी के लिए रेफर
कैंसर संस्थान में मरीजों के बड़े ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं। यह हाल तब है जब करोड़ों का ओटी कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हो गया था। इसमें अब आठ नए ऑपरेशन थिएटर (ओटी) शुरू किए जा सकते हैं। लेकिन डॉक्टरों का संकट है। ब्लड बैंक भी नहीं है। ऐसे में बड़ी सर्जरी वाले मरीजों को केजीएमयू लोहिया इंस्टीट्यूट रेफर कर दिया जाता है. स्थिति यह है कि दिसंबर के पहले सप्ताह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निरीक्षण के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है.
वर्तमान में संस्थान में केवल 8 फैकल्टी कार्यरत हैं। 24 जूनियर रेजिडेंट हैं। वर्तमान में 30 से अधिक फैकल्टी, 60 से अधिक रेजिडेंट पद रिक्त हैं। वहीं, 219 कर्मियों के पद भी खाली हैं। भर्ती संबंधी विज्ञापन कई बार सामने आए, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। स्थिति यह है कि चिकित्सक व स्टाफ की कमी के चलते उपकरणों की खरीद के लिए कमेटी नहीं बनाई जा रही है. 100 करोड़ से ज्यादा उपकरणों की खरीद अटकी हुई है। कार्यवाहक सीएमएस डॉ अनुपम वर्मा के मुताबिक समस्या के समाधान का काम तेजी से चल रहा है. जल्द ही मरीजों को बेहतर इलाज मिलना शुरू हो जाएगा।