बिजली अभियंता-कर्मचारी 6 नवम्बर से करेंगे कार्य बहिष्कार

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-निजीकरण का विरोध
-72 घंटे का कार्य बहिष्कार होगा

एलायंस टुडे ब्यूरो

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संधर्ष समिति, उप्र ने घोषणा की है कि प्रदेश के बिजली कर्मचारी व अभियन्ता 6,7 व 8 नवम्बर को 72 घंटे का कार्य बहिष्कार करेंगें। नेशनल कोआर्डीनेशन कमेटी ऑफ एलेक्ट्रीसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर उप्र के बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं का आज लखनऊ में प्रान्तीय सम्मेलन हुआ।
सम्मेलन में केन्द्र व राज्य सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में व कर्मचारियों की अन्य न्यायोचित समस्याओं के समाधान के लिए प्रान्त व्यापी आन्दोलन का निर्णय लिया गया है। सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय मदद देने के नाम पर राज्य सरकारों पर बिजली आपूर्ति के निजीकरण के लिए बेजा दबाव बनाने की भत्र्सना करते हुए चेतावनी दी गयी है कि बिजली, संविधान की 7वीं अनुसूची में राज्य का विषय है और केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों पर निजीकरण के लिए दबाव डालना राज्यों के कार्यक्षेत्र में अनुचित हस्तक्षेप है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार संशोधित उदय योजना में यह प्राविधान करने जा रही है कि विद्युत वितरण और आपूर्ति को अलग-अलग कर दिया जाये। विद्युत वितरण का कार्य वितरण कम्पनियों के पास रहेगा जबकि विद्युत आपूर्ति निजी लाइसेंसी व फ्रेन्चाइजी को सौंपी जायेगी।

 

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संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण व फें्रचाइजी का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है। ऐसे में राज्यों पर निजीकरण-फ्रेन्चाइजी के विफल प्रयोग को लागू करने के लिए दबाव डालने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले उड़ीसा में विद्युत वितरण का निजीकरण किया गया था जिसकी विफलता के चलते 2015 मेें निजी कम्पनी के लाइसेन्स निरस्त कर दिये गये हैं। इसी प्रकार औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में निजी फ्रेन्चाइजी के करार निरस्त किये जा चुके हैं। अतः इन विफल प्रयोगों को राज्यों पर थोपा जाना किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेेगा।
संघर्ष समिति की मुख्य मांग, ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर उप्र राज्य विद्युत परिषद निगम लि का गठन किया जाना, ग्रेटर नोयडा व आगरा का निजीकरण-फ्रेन्चाइजी करार निरस्त किया जाये, बिजली कर्मचारियों की वेतन विसंगतियोें का द्विपक्षीय वार्ता द्वारा निराकरण किया जाये, सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाये व संविदा कर्मियों को तेलंगाना सरकार की भांति नियमित किया जाये, वर्ष 2000 के बाद भर्ती हुये सभी कार्मिकों के लिए पेंशन प्रणाली लागू की जाये, बिजली कार्मिकों के लिये रियायती बिजली की सुविधा यथावत बनाये रखी जाये, प्रबन्धन द्वारा कर्मचारियों व अभियन्ताओं की स्थानान्तरण सहित अन्य दण्डात्मक कार्यवाही समाप्त किया जाना आदि शामिल हैं। प्रान्तीय सम्मेलन को जीके मिश्र, राजीव सिंह, जीवी पटेल, गिरीश पाण्डे, सदरूद्दीन राना, विपिन प्रकाश वर्मा, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डीयाल, शशिकान्त श्रीवास्तव, जय प्रकाश, महेन्द्र राय, राजपाल सिंह, मायाशंकर तिवारी, वरिंदर शर्मा, राजेश पाण्डेय, एके श्रीवास्तव, परशुराम, डीके मिश्रा, पीएन राय, वीसी उपाघ्याय, पूसेलाल, भगवान मिश्र, पीएन तिवारी, पीएस बाजपेयी, राम सहारे वर्मा, जीपी सिंह, कुलेन्द्र सिंह चैहान आदि ने सम्बोधित किया।

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