सूचना आयोग के अफसरों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

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-अफसरों ने कहा, आरोप निराधार

एलायंस टुडे ब्यूरो

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर आए दिन अफसरों को चेतावनी दे रहे हैं, इसके बाद भी प्रदेश के विभागों में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा कोई और नहीं अधिकारियों की लापरवाही और कार्यों में हीलाहवाली के कारण मिल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में आरटीआई के तहत सूचना देने को लेकर इसी तरह का मामला सामने आया है।
आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी तेजस्कर पाण्डेय ने सूचना आयोग में जब से कार्यभार ग्रहण किया तब से लेकर आज की तिथि तक किसी भी आरटीआई आवेदन पत्रों के क्रम में कोई भी सूचना आज तक दिये जाने की आवश्यकता महसूस नहीं की। यही नहीं जन सूचना अधिकारी सभी आरटीआई आवेदन पत्रों के क्रम में साजिशन विस्तृत सूचना का हवाला देकर सूचना देने से मना कर देते हैं।
तनवीर ने बताया कि सूचना आयोग से संबंधित लगभग 200 के आस-पास कई तरह की जानकारी मांगी गई थी। सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी तेजस्कर पाण्डेय ने सूचना आयोग में कार्यभार ग्रहण करने से लेकर आज तक आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई कोई भी सूचना नहीं दी, जबकि आरटीआई एक्ट के तहत हर हाल में 30 दिन में सूचना देना होता है। यही नहीं तेजस्कर पाण्डेय के द्वारा उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015 के नियम 4 दो ख 5 का हवाला देकर जानकारी देने से मना कर देते हैं।

तनवीर ने बताया जब सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी तेजस्कर पाण्डेय के द्वारा दिए गये पत्र के खिलाफ आरटीआई एक्ट के तहत सूचना आयोग के प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील करते हैं, तो वह भी पाण्डेय के ही निर्णयों को सही ठहराते हैं। आरटीआई एक्ट के तहत शिकायतें व अपीलें मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के सुनवाई कक्ष में दायर की जाती है, तो वह तारीख-पर-तारीख देते हैं। हैरान करने वाली बात है कि सूचना दिए बिना ही मामलों का निस्तारण कर दिया जाता है। विरोध पर मुख्य सूचना आयुक्त धमकी भरे लहजे में कहते हैं कि आप हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उनके निर्णय के खिलाफ जा सकते हैं।
तनवीर ने आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग के जन सूचना अधिकारी और आयोग के प्रथम अपीलीय अधिकारी व मुख्य सूचना आयुक्त मिलकर संवैधानिक पदों पर बैठकर अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। जब सूचना आयोग का आलम यह है, तो उनके मातहतों का क्या हाल होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। चिंताजनक बात है कि सरकार भ्रष्टाचार जीरो टॉलरेंस की बात तो कर रही, लेकिन यह महज एक दावा करने तक ही सीमित रह गया है। जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है।
इस सिलसिले में पूछे जाने पर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी व आयोग के जनसूचना अधिकारी तेजस्कर पाण्डेय ने उन पर लगाये गये आरोपों को गलत बताया। अधिकारियों ने कहा कि आयोग में सभी कार्य एक्ट के तहत चल रहे हैं।

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