
एलायंस टुडे ब्यूरो
लेख । किसानों की आत्महत्या किसी भी समाज के लिए एक बेहद शर्मनाक स्थिति है। आखिर वो कौन सी परिस्थितियां हो सकती हैं जिसकी वजह से किसान, जो सबके लिए अनाज उपजाता है, आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। भारत में अभी हाल के दिनों में किसानों के आत्महत्या करने के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गयी है जो वाकई चिंता का विषय है और इस ओर अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया गया तो ये हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
छात्रों के लिए भी किसानों की आत्महत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे को समझने और उन कारणों, जिनकी वजह से किसान इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं, का समाधान सोचने की आवश्यकता है। हम यहां किसानों की आत्महत्या से जुड़े मुद्दों की जांच-पड़ताल करते हुए एवं उनका समाधान सुझाते हुए साधारण भाषा में 300, 500, 600 एवं 800 शब्दों में लेख प्रस्तुत कर रहे हैं जो विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है। इनमें से आप अपनी आवश्यकतानुसार किसी भी लेख का चयन कर सकते हैं
समाधान जरूरी
भारत में ज्यादातर किसान गरीब हैं और उनके पास अपनी जमीनें नहीं है। वे जमींदारों की जमीन पर खेती करते हैं और उन्हीं से कर्ज लेकर बीज, खाद एवं खेती से संबंधित अन्य जरूरतों की पूर्ति करते हैं। उनके एक कर्ज का बोझ उतर भी नहीं पाता कि दूसरी फसल लगाने के लिए उन्हें फिर से कर्ज लेना पड़ जाता है और इस बीच में अगर किन्हीं कारणों जैसे कि बाढ़, सूखा, फसल में कीड़ा लग जाना इत्यादी से फसल खराब हो जाए तो वे कर्ज नहीं चुका पाते और इस वजह से वे आत्महत्या कर लेते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भारत के किसान जमींदारों एवं साहूकारों के आर्थिक शोषण से परेशान होकर ही आत्महत्या करते हैं। कई बार तो यह भी देखा गया है कि फसल की जरूरत से ज्यादा पैदावार हो जाने की वजह से भी उन्हें आत्महत्या करनी पड़ जाती है क्योंकि ज्यादा पैदावार होने पर फसल का बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य इतना गिर जाता है कि वह उनके कुल लागत से भी बेहद कम हो जाती है और वे अपना कर्ज नहीं उतार पाते। ऋणग्रस्तता या कर्ज में दबे होने की स्थिति ही गरीब किसानों को और भी गरीब बनाती है।
किसानों की आत्महत्या रोकने का कार्य सरकार कई किसान कल्याण एवं कृषि विकास की योजनाओं द्वारा कर सकती है। साथ ही सरकार को फसल बीमा एवं कई अन्य प्रकार की सहायता जैसे सहकारी बैंको से कम ब्याज दर पर ऋण की उपलब्धता कराना एवं उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उच्च स्तर के खाद, उत्तम कृषि यंत्र प्रदान करना एवं भूमिहीन किसानों को भूमि उपलब्ध कराना आदि उपायों के द्वारा सरकार किसानों की आत्महत्या को रोकने में कामयाब हो सकती है।
निष्कर्ष: किसानों की आत्महत्या एक राष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुकी है और अगर जल्द ही किसानों की स्थिति बेहतर बनाने और उन्हें आत्महत्या करने से रोका न गया तो यह स्थिति और भी भयावह रूप धारण कर सकती है। उनके लिए फसल बीमा, फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धी सरकार को सुनिश्चित करनी होगी तभी किसानों की स्थिति सुधरेगी और उन्हें आत्महत्या करने से रोका जा सकेगा।