एलायंस टुडे ब्यूरो
नई दिल्ली। ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का 76 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 26 साल की उम्र में स्टीफन हॉकिंग एक भयंकर बीमारी के शिकार हो गए थे। उनका पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया था। इसके बावजूद उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक काम किया और अपनी किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री आॅफ टाइम के माध्यम से ब्रह्माण्ड के रहस्यों को आम लोगों तक पहुंचाया। कॉस्मोलॉजी और क्वांटम फिजिक्स खासकर श्ब्लैक होल्सश् के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के बावजूद स्टीफन हॉकिंग को नोबेल प्राइज नहीं मिला। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि स्टीफन हॉकिंग जैसे छात्र जीवन में बहुत तेजस्वी विद्वान नहीं थे। जब वो नौ साल के थे तो क्लास में उनके ग्रेड्स सबसे खराब आते थे। उन्होंने अपनी मेहनत से एक औसत छात्र तो बने लेकिन कभी मेधावी नहीं रहे। हालांकि, स्टीफन हॉकिंग बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। वह घर में लगी घड़ियों, रेडियो और अन्य मशीनी चीजों को खोलकर देखा करते थे। लेकिन, जब उन्हें दोबारा जोड़ने की बारी आती थी तो हॉकिंग अपना हाथ पीछे खींच लेते थे। स्कूल में अच्छे अंक नहीं आने से चिंतित उनके पिता हॉकिंग को आॅक्सफोर्ड भेजना चाहते थे। लेकिन, उनके पास इतने पैसे नहीं थे और आॅक्सफोर्ड में हॉकिंग सिर्फ स्कॉलरशिप के जरिए ही दाखिला पा सकते थे। स्टीफन हॉकिंग ने अपने पिता को निराश नहीं किया और स्कॉलरशिप एग्जाम में भौतिक विज्ञान के पेपर में बेहतरीन अंक प्राप्त किया। स्टीफन हॉकिंग के पिता हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा मेडिसिन की पढ़ाई करे, लेकिन हॉकिंग की रुचि गणित में थी। अब दुविधा ये थी कि आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उस वक्त गणित में कोई मेजर कोर्स नहीं था। इसलिए हॉकिंग ने गणित की बजाय भौतिकी चुना। बाद में जब हॉकिंग को परमाणु पार्टिकल्स के अध्ययन और कॉस्मोलॉजी में से चुनना पड़ा तो उन्होंने दूसरा आॅप्शन चुना। स्टीफन हॉकिंग की जीवनी लिखने वाली क्रिस्टीन लॉर्सन के मुताबिक, श्स्टीफन हॉकिंग आॅक्सफोर्ड में अपनी शिक्षा के दौरान पहले साल अकेले रहे। जब उन्होंने विश्वविद्यालय की नौकायन टीम का हिस्सा बने तो दूसरे छात्रों से उनकी दोस्ती हुई।