भारत की मूल पहचान भारत का आध्यात्म है। देश के सबसे बड़े संगठन के रूप में जब आरएसएस का सहयोग मिलता है तो भारत की शक्ति दोगुनी हो जाती है। हमारे खिलाफ प्रचार तंत्र लगा है, लेकिन जब तक धर्माचार्यो का सहयोग है, संघ के स्वयंसेवकों का सहयोग है भारत का कोई बाल भी बांका नही कर सकता। यह कहना था प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का। वे वृंदावन में संत विजय कौशल महाराज के आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में शरीक होने आए थे। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि केवल भारत मता की जय बोलने से जय नहीं होगा। उसके लिए आचरण करना होगा। उन्होंने कहा कि अब भारत पहले से भी अधिक सशक्त होकर उभरेगा।
शुक्रवार को वृंदावन में संत विजय कौशल महाराज के आश्रम निकुंज वन में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और योग गुरु रामदेव शरीक होने को पहुंचे थे। यहां सबसे पहले रामदेव ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी जो नीतियां बना रहे हैं, उसके साथ सवा सौ करोड़ लोगों का साथ हो तो मोदी के सपनों का भारत बनेगा। राम, कृष्ण, ऋषियों का देश बनेगा। सवा सौ करोड़ लोग पुरुषार्थ करेंगे तो जीडीपी भी बढ़ेगी। जब तक मैं अपने राष्ट्र धर्म, स्वधर्म में जुटा हूं तब तक कोई दुनियां में हमें गिरा नही सकता और मैं गिर गया तो कोई उठा नही सकता। राम का देश बनाना है तो राम जैसा आचरण करना चाहिए।
रामदेव बोले योगी ने छुट्टियों की छुट्टी करके साहस का काम क्या है। रोज छुट्टी होगी तो पुरुषार्थ कब करेंगे। अमेरिका में लाख दुर्गुण हों, लेकिन वहां के नागरिक पुरुषार्थ करते हैं। इसलिए उनके पास सब कुछ है। पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाओं को वह डब्लूएचओ के माध्यम से नियंत्रित करता है। वह दुनिया की करेंसी की कीमत तय करता है। अमेरिका से आगे जाना है तो एक हजार लाख करोड़ जीडीपी करनी होगी। इसमें एक हजार करोड़ पतंजलि देगा। ऐसा पुरुषार्थ करो कि डब्लूएचओ का मुख्यालय भारत में हो।
इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम जो कुछ कहते, सोचते, बोलते हैं, वो कभी समाप्त नही होता, बल्कि अपनी ध्वनि तरंगों के माध्यम से पूरे पर्यावरण को प्रभावित करता है। निकुंज वन के सुरम्य वातावरण ने हमें आह्लादित किया। संत विजय कौशल की कथाएं सुनते थे, कभी आने का अवसर नही मिला। आज सौभाग्य मिला है। भारत की मूल पहचान भारत का अध्यात्म है। तमाम झंझावात झेलकर भी भारत, भारत बना है तो उसके कारण हैं। मंदिर, धर्माचार्य और धर्म आचरण। जब तक ये चीजें रहेंगी भारत की राह में कोई बाधा नही आ सकती। देश के सबसे बड़े संगठन के रूप में जब आरएसएस का सहयोग मिलता है तो भारत की शक्ति दोगुनी हो जाती है। हमारे बारे में मिथ्या धारणाएं पैदा की जाती हैं । इस तरह के आयोजनों से उन्हें जवाब देना होगा।
हमारे खिलाफ प्रचार तंत्र लगा है, लेकिन जब तक धर्माचार्यों का सहयोग है, संघ के स्वयंसेवकों का सहयोग है, भारत का कोई बाल भी बांका नही कर सकता। हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में कहीं न कही खोट है कि बच्चों को छुट्टी का कारण भी नही पता। वे किसी भी छुट्टी को संडे बताते हैं, यानी उन्हें छुट्टी क्यों है, इसके बारे में भी नही बताया गया। इसलिए छुट्टियां बंदकर उन तिथियों में महापुरुषों के बारे में बताने को कहा ताकि बच्चे अपने इतिहास से वाकिफ हों और स्वर्णिम भारत के निर्माण में सहयोगी बने। सीएम ने कहा कि वे आभारी हैं कि प्रदेश की जनता ने उनके इस छुट्टियां खत्म करने के निर्णय का स्वागत किया। केरल में मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि हिंदुत्व हमारे लिए मुद्दा नहीं, जीने की कला है।
वृंदावन के कण-कण में बांके बिहारी का वास नजर आता है। यदि निकुंज वन जैसा सुरम्य वातावरण हर धर्म स्थल, आश्रम का हो जाए तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नही रोक सकता। हमारे धर्म पर आक्षेप लगता है कि हम अपने धार्मिक स्थलों को स्वच्छ नहीं रखते हैं। यहां आकर सुखद अनुभूति हुई। स्वच्छता के लिए प्रधानमंत्री को अभियान चलाना पड़ा, जबकि यह स्वतः स्फूर्त होना चाहिए। आश्रम का कैसा स्वरूप हो, विजय कौशल का महाराज उदाहरण हैं। दुनियां के द्वारा ठुकराए गए लोगों, कुष्ठ रोगियोों को विजय कौशल महाराज गले लगा रहे हैं। ऋतम्भरा दीदी उन्हें गले लगा रही हैं, जिन्हें समाज ने फेंक दिया। इसलिये आश्रमों को सेवाभावी बनने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने तीर्थ निर्माण की प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश का सहयोग करने की अपील की। कहा कि यमुना प्रदूषण के लिए सरकारी स्तर पर जो संभव है, वो तो करेंगे ही, पौधरोपण भी जरूरी है लेकिन यूकेलिप्टस के पेड़ नहीं। पीपल, पाकड़ आदि औषधीय पौधे बड़ी संख्या में लगाने की जरूरत है। इससे यमुना की अविरलता बानाए रखने में हमे बड़ी मदद मिलेगी।गो संरक्षण के साथ गोसंवर्धन भी करना होगा। यहां बहुत बड़ी भूमि गौचारण की है। बहुत सी जगह पर कब्जा है, उस पर भी बात होगी। आज कोर्ट को बताना पड़ रहा है कि हमेें राष्ट्रगान गाना चाहिए।
यह प्रत्येक नागरिक का धर्म होना चाहिए कि वह राष्ट्रप्रेम की प्रत्येक बात को आगे बढ़ाए, उसका आचरण करे। हम हाईकोर्ट के आभारी हैं।
इसके बाद भागवत ने कहा कि भारत माता की जय यहां बोलने से ही जय नही होगी, उसके लिए आचरण करना होगा। उस पर योगी जी और रामदेव पर्याप्त बोल चुके हैं। हमें क्या करना है, यह सोचकर काम करना होगा। पहले दृढ़ और शुद्ध संकल्प जरुरी है।
इस कार्यक्रम में आए हैं तो क्या सोचकर आए हैं, क्या लक्ष्य लेकर आए हैं, यह सोचना जरूरी है। कोई मनोरंजन के लिए, कोई कमाई के लिए आया है। कितने लोग आराध्य की प्रत्यक्ष अनुभूति लेने आते हैं।
यहां जब तक हैं तब तक जय बोल रहे हैं, बहुत रीचार्ज हैं, लेकिन यहां से जाने के बाद कितने लोग ध्यान रखेंगे। इसलिए पहले दृढ़ संकल्प जरूरी है। उत्कृष्ट विचार यहां से आप लेकर जाएं, इसके लिए संकल्प जरूरी है। ऐसे भी लोग हैं, जो ज्ञान, ध्यान की बात उस अवस्था में करते हैं जब कुछ कर नहीं सकते।
जबकि यह हर समय की बात होनी चाहिए। सदियों से आक्रमण झेलकर भी हिन्दू समाज हिन्दू बनकर जी रहा है। वरना इतने कत्लेआम हुए चाहते तो सभी लोग धर्म बदल लेते, लेकिन यह संकल्प का प्रभाव है कि हिन्दू धर्म चल रहा है। कितने भी व्यवधान आएं अपना ध्यान नहीं बंटना चाहिए। भारत माता की जय एक मिनट का नहीं, प्रत्येक क्षण का विषय है। यह एक मिनट में होगा भी नहीं, इसके लिए अभ्यास करना होगा। ध्यान माने इसी क्षण में जीना। दुनिया में घूमना, लेकिन अपने में रहना। कोई करे न करे, मुझे करना है।
भारत पूर्व से भी अधिक रूप में विश्व मे उभरेगा। कोई संशय नहीं, उसकी प्रक्रिया की हम अनुभूति कर रहे हैं लेकिन हम उसमें सहयोगी बन रहे हैं या नहीं, यह देखना है। ये 20, 25 साल ऐसे न निकल जाएं कि नाती, पोती को यह बताएं कि भारत ने जो गौरव प्राप्त किया, उसमें हम कुछ कर नही सके।