हम सबका लक्ष्य प्रदेश और देश का विकास होना चाहिए

लखनऊ । राष्ट्रपति बनने के बाद गुरुवार को पहली बार प्रदेश में आगमन पर रामनाथ कोविंद का इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राज्य सरकार की ओर से आयोजित भव्य समारोह में नागरिक अभिनंदन हुआ। राज्यपाल राम नाईक ने उन्हें सत्कार मूर्ति बताया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें उप्र की माटी का सपूत कहा। इस मौके पर कोविंद ने जहां उप्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और संत परंपरा का उल्लेख किया, वहीं यह भी कहा कि विचारधारा में अंतर होने के बावजूद हम सबका लक्ष्य प्रदेश और देश का विकास होना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा, साझी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही उन्होंने राष्ट्रीयता को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया। उनका मानना था कि सरकार बने या न बने, राष्ट्रहित ही सर्वोपरि है।देश का प्रथम नागरिक बनने के बाद अपनी मातृभूमि वाले राज्य में नागरिक अभिनंदन के अवसर पर कोविंद धर्मसंकट से भी जूझे। हॉल में प्रवेश करते समय ही उन्हें बागपत में हुई नाव दुर्घटना में 22 लोगों की मृत्यु की खबर मिल चुकी थी। उनसे पूर्व उद्बोधन में राज्यपाल राम नाईक इसका उल्लेख कर चुके थे। अपने नागरिक अभिनंदन के दौरान इस दुखद घटना की सूचना मिलने से वह धर्मसंकट में थे और उन्होंने इसका इजहार भी किया। कोविंद ने दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के प्रति श्रद्धांजलि निवेदित करते हुए अपनी बात कही। उन्होंने कहा, संविधान ने हमें मौलिक अधिकारों के साथ दायित्व भी दिये हैं।कोविंद ने कहा कि देश का हर नागरिक राष्ट्रनिर्माता की भूमिका निभाता है। इस भूमिका में हमें अपने दायित्वों का बोध होना चाहिए। यदि बोध होगा तो हम मानवीय दुर्बलताओं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में काम करेंगे। नागरिक अभिनंदन से अभिभूत कोविंद ने कहा कि 22 करोड़ की जनता और देश का भाग्य बदलने वाले उप्र का मैं छोटा सा नागरिक हूं। यहां न आता तो न मुझे प्रसन्नता होती, न आपको। कोविंद ने कहा कि उप्र ने देश को नरेंद्र मोदी समेत नौ प्रधानमंत्री दिये लेकिन यहां से कोई राष्ट्रपति नहीं हुआ था। यह बात उन्हें कचोटती थी। यह उप्र की धरती का ही आशीर्वाद है कि उसका सपूत राष्ट्रपति पद तक पहुंचा।उप्र को धर्म, अध्यात्म और सामंजस्य की धरती बताते हुए कोविंद ने प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अद्वितीय बताया। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम और कुरुक्षेत्र में अध्यात्म का संदेश देने वाले भगवान कृष्ण का उल्लेख करने के साथ उन्होंने मुस्लिम विरासत को अनमोल धरोहर फतेहपुर सीकरी का भी उल्लेख किया। ताजमहल को मुहब्बत के प्रति शाहजहां का समर्पण बताया। उप्र की संत परंपरा का उल्लेख करने के साथ साहित्य, शिक्षा, राजनीति और हस्तशिल्प के क्षेत्र में प्रदेश के योगदान की भी सराहना की। राष्ट्रपति होने के नाते संविधान की बाध्यताओं और मर्यादाओं से बंधा होने का जिक्र करते हुए भी उन्होंने प्रदेश को यथासंभव सहयोग और सहायता का आश्वासन दिया। इस मौके पर राज्यपाल ने अंगवस्त्र पहनाकर उनका अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने उन्हें भगवान बुद्ध की प्रतिमा और पुस्तक भेंट की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उन्हें अभिनंदन पत्र की प्रति भेंट की। विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ.दिनेश शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय ने पुष्प भेंटकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। राष्ट्रपति का स्वागत करने वालों में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एसपी सिंह, अंबेडकर महासभा के लालजी प्रसाद निर्मल, अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एलपी मिश्रा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.पीके गुप्ता भी शामिल थे। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट की तो अपने उद्बोधन में कोविंद ने इसका जिक्र कर कहा कि भगवान बुद्ध ने विश्व को शांति का जो मार्ग दिखाया, उसे अपना कर ही डॉ.भीमराव अंबेडकर ने प्रमुख शिल्पी के रूप में संविधान की रचना की। लखनवी तहजीब में पहले आप के चलन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें बड़ा संदेश छिपा है। जब आप किसी को पहले आप कहते हैं तो आप खुद को पीछे करके उसे आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते हैं।राष्ट्रपति का अभिनंदन कर राज्यपाल राम नाईक ने उनके साथ अपने पुराने रिश्तों की यादें ताजा कीं। बताया कि जब वह भाजपा की अनुशासन समिति के अध्यक्ष थे तो कोविंद उस समिति के सदस्य। तब भाजपा में अनुशासनहीनता की उतनी बातें नहीं होती थीं। इधर ऐसी बातें कुछ बढ़ी हैं। फिर भी अनुशासनहीनता के जो कुछ मामले सामने आये, उस पर उन्होंंने अध्यक्ष के नाते कठोर निर्णय लिए। उन फैसलों को सदस्य के तौर पर कोविंद ने जिस तरह से आत्मसात किया, वह सराहनीय है। कुछ ऐसे अवसर भी आये, जब सदस्य होते हुए भी कोविंद ने उनका मार्गदर्शन किया। बकौल नाईक, कोविंद पहले भी राजभवन आये हैं लेकिन राष्ट्रपति के रूप में उनका स्वागत-सत्कार करने पर आज उन्हें बेहद खुशी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की 22 करोड़ जनता की ओर से राष्ट्रपति का अभिनंदन करते हुए उन्हें संघर्षशील व्यक्तित्व, विधि विशेषज्ञ और संघर्षशील राजनेता बताया। उन्होंने कहा कि रामनाथ कोविंद के भारतीय गणतंत्र के सर्वोच्च पद पर आसीन होने से पूरा प्रदेश उत्साहित और गौरवांवित है। इस मौके पर उन्होंने वंचित वर्ग के लिए सरकार की ओर से उठाये जा रहे कल्याणकारी कदमों की जानकारी दी। उम्मीद जतायी कि राष्ट्रपति के मार्गदर्शन में उप्र सर्वोत्तम प्रदेश बनेगा। समारोह के समापन से पूर्व राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत समारोह में मौजूद सभी लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर बागपत में हुई नाव दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इसका आह्वïन राज्यपाल राम नाईक पहले ही कर चुके थे।

 

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