क्या द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका की खुफिया एजेंसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक सर्विसेज (ओएसएस) ने महात्मा गांधी की रक्षा की कोशिश की थी? यह उन सवालों में से एक है जो सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में उठाए गए हैं। याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर से खोलने का आग्रह किया गया है और पूछा गया है कि क्या यह इतिहास में सबसे बड़ा कवर-अप (मामले पर पर्दा डालना) है।
याचिका दायर करने वाले अभिनव भारत, मुंबई के न्यासी एवं शोधकर्ता डॉ़ पंकज फडनिस ने एक लिखित अभिवेदन में कहा है कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद यहां स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन के लिए टेलीग्राम भेजे गए थे और इससे संबंधित रिपोर्टों में से एक अब भी गोपनीय है। उन्होंने इन टेलीग्राम में से एक को रिकॉर्ड में रखा है जो उन्हें इस साल मई में अमेरिका के मैरीलैंड स्थित नेशनल आर्काइव्ज एंड रिसर्च एडमिनिस्ट्रेशन से आधिकारिक रूप से प्राप्त हुआ था।
फडनिस ने उल्लेख किया कि 30 जनवरी 1948 को रात आठ बजे यहां स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए गोपनीय टेलीग्राम के अनुसार, जब गांधी को गोली मारी गई तो उस समय संवितरण अधिकारी टॉम रीनर उनसे पांच फुट की दूरी पर थे और भारतीय गार्डों की मदद से उन्होंने हत्यारे को पकड़ लिया था। फडनिस ने अभिवेदन में कहा, रीनर ने देर शाम दूतावास पहुंचने पर रिपोर्ट दर्ज कराई। याचिकाकर्ता ने उक्त रिपोर्ट को सार्वजनिक कराने के लिए अमेरिका के सूचना की स्वतंत्रता के कानून के तहत एक आवेदन दायर किया है। इस पर छह अक्तूबर को सुनवाई होनी है।
फडनिस ने यह पता लगाने के लिए भी जांच की मांग की है कि क्या नाथूराम गोडसे के साथ ही क्या गांधी की हत्या में ‘विदेशी हाथ’ था। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि 1966 में स्थापित न्यायमूर्ति जेएल कपूर आयोग गांधी की हत्या की समूची साजिश का पदार्फाश करने में विफल रहा था।