सीएम योगी आदित्यानाथ ने गोरखनाथ मंदिर में रविवार को पूरे विधि-विधान से परंपरागत नवमी पूजन किया

एलायंस टुडे ब्यूरो

लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ आज नवरात्र के अंतिम दिन अपनी कर्मस्थली गोरखपुर में हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की समाधि स्थल पर मत्था टेका। वासंतिक नवरात्र की नवमी के अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने रविवार को गोरखनाथ मंदिर में पूरे विधि-विधान से परंपरागत नवमी पूजन किया। एक घंटे चली पूजन प्रक्रिया में उन्होंने नौ कन्याओं और एक बटुक भैरव की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा की और उन्हें अपने हाथ से भोजन कराया। कुछ समय प्रशासनिक अधिकारियों और भाजपा पदाधिकारियों के बीच गुजारने के बाद वह मठ स्थित शक्ति पीठ पहुंचे, जहां हवन किया। कन्या पूजन की शुरुआत 11 बजे योगी द्वारा कन्याओं के पांव पखारने से हुई। योगी ने बारी-बारी से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की प्रतीक नौ कन्याओं और एक बटुक भैरव का परात में पांव पखारा। उसके बाद उन्हें टीका लगाकर चुनरी ओढ़ाने के साथ आरती की आनुष्ठानिक प्रक्रिया सम्पन्न की। पूजा अर्चना के बाद कन्या भोज कार्यक्रम शुरु हुआ। योगी एक-एक कर सभी नौ कन्याओं और बटुक भैरव के पास गए और उनकी थाली में अपने हाथ से भोजन परोसा। इसी क्रम में उन्होंने पूजन कक्ष में मौजूद अन्य कन्याओं को भी पूरी श्रदा और भक्ति के साथ भोजन कराया। योगी ने सभी कन्याओं को अपने हाथ से दक्षिणा देकर सम्मान पूर्वक विदाई भी की। और इसी के साथ गोरखनाथ मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर के हाथों होने वाली नवमी की पारंपरिक कन्या पूजन प्रक्रिया सम्पन्न हुई। कन्या पूजन से पहले ब्रहृम मुहूर्त में सुबह चार बजे श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ और आरती के साथ मंदिर में देवी के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की आराधना भी की गई। हालांकि सुबह की पूजा में योगी शामिल नहीं हो सके।

कन्या पूजन से होती है देवी के सभी रूपों की आराधना

कन्या पूजन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में कुंवारी कन्याओं का पूजन और सत्कार आदि शक्ति मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन है। ऐसे में हिंदू समाज में कन्या भ्रूण हत्या और मातृ शक्ति के साथ होने वाला अपराध पतन की पराकाष्ठा तो है ही, अध्यात्मिक शक्तियों को नकारने जैसा भी है। योगी ने कहा कि नवरात्र का अनुष्ठान आध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ सामाजिक एकता के माध्यम से राष्टीय एकता का मजबूत करने का अवसर है। इसे हर सनातन अनुयायी को समझना होगा।

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