सितम्‍बर में बच्‍चों की मौत ने तोड़ दिया चार साल का रिकार्ड

बीआरडी मेडिकल कालेज के बालरोग विभाग में बच्चों की मौत का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। ऑक्सीजन त्रासदी के बाद कालेज में सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं। सितंबर में 433 बच्चों की मौत हो गई। सितंबर में मौतों के आंकड़ों ने बीते चार साल का रिकार्ड तोड़ दिया।बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन त्रासदी के बाद हालात कुछ खास नहीं बदले हैं। बालरोग विभाग में बच्चों के बेहतर इलाज के लिए शासन ने 20 नए डॉक्टरों को तैनात किया। शासन का यह कदम भी बच्चों की मौत के आंकड़े को कम नहीं कर पा रहा है। सितंबर में बीआरडी मेडिकल कालेज में 433 बच्चों की मौत हुई जबकि पिछले वर्ष 372 बच्चों की ही मौत हुई थी।सितम्‍बर में सबसे ज्यादा मौतें शिशु गहन चिकित्सा कक्ष(एनआईसीयू) में नवजातों की हुई। एनआईसीयू में 247 नवजातों की मौत हुई। इसके अलावा इंसेफेलाइटिस व दूसरी बीमारियों के 186 मरीजों की मौत पीआईसीयू में हुई।सितंबर में 433 बच्चों की मौत के ग्राफ ने बीते चार साल का रिकार्ड तोड़ दिया। बीआरडी के बालरोग विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में 302 बच्चों की मौत हुई। वर्ष 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 378 हो गया। वर्ष 2016 में इसमें आंशिक कमी हुई। इस वर्ष 372 बच्चों की मौत हुई।बीआरडी में 10 व 11 अगस्त को ऑक्सीजन त्रासदी हुई। इसके बाद बच्चों की मौत के ग्राफ में तेजी से उछाल आया। अगस्त में बाल रोग विभाग में 418 बच्चों की मौत हुई थी जिसमें 236 नवजात शिशु शामिल रहे। इनमे संक्रमण, कम वजन, सांस लेने में दिक्कत से पीड़ित शिशु शामिल रहे। इसके अलावा इंसेफेलाइटिस से 80 बच्चों की मौत हुई थी। यह संख्या वर्ष 2016 के मुकाबले 51 अधिक थी।

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