विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा-संपर्क के मामले में आगे रहा भारत

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संपर्क (कनेक्टिविटी) के मामले में भारत को अग्रणी बताते हुए कहा है कि दक्षिण एशिया के लिए संपर्क की कोई भी योजना अच्छी है। लेकिन उसको सिद्धांतों के अनुरूप और स्थायी होना चाहिए। उसे स्थानीय संवेदनाओं का सम्मान करने वाला भी होना चाहिए। जयशंकर ने यह बात ऐसे समय कही है, जब चीन ने अपनी वन बेल्ट वन रोड योजना से जुड़ने का भारत को फिर से सुझाव दिया है। विदेश सचिव ने यहां गुरुवार को एक थिंक टैंक की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में कहा, इस साल की शुरुआत में भारत ने अपने नजरिये के अनुरूप वन बेल्ट वन रोड पहल का विरोध किया था। उन्होंने कहा, चीन से इस मसले में तुलना करना हमारे साथ न्याय नहीं होगा। सिल्क रोड हमारे पास है। सिल्क रोड पर हमारा दावा संभवत: किसी और से अधिक है। भले ही इस मार्ग पर हमारी ब्रांडिंग खो गई। जयशंकर ने कहा, ‘भारत संपर्क के मामले में कई प्रकार से अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा, लेकिन मुद्दा यह है कि हमारे पास इसको लेकर निश्चित नजरिया है कि संपर्क परियोजनाएं किस तरह होनी चाहिए। इस संबंध में हमने इस साल की शुरुआत में जो कहा, उसको केवल हमारा विचार माना गया। चिंता जताई गई कि हम अलग थलग पड़ रहे हैं। जबकि हाल में हमने देखा कि संपर्क की परियोजनाएं किस तरह आगे बढ़ी। हमने जो चिंताएं जताई थीं वह दुनिया के और भागों से भी सामने रखी गईं।’ दरअसल विदेश सचिव से पूछा गया था कि भारत-जापान सहयोग और संयुक्त संपर्क पहलों को चीन के वन बेल्ट वन रोड मुकाबले में आने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। जयशंकर ने कहा, इसकी व्याख्या किसी के साथ प्रतिद्वंदिता के तौर पर करना  न्याय  नहीं होगा। उन्होंने कहा, हम संपर्क के बारे में दुनिया की राय को प्रभावित कर सकते हैं। हम आगामी सालों में अपने कार्य से इसका एक मॉडल खड़ा कर सकते हैं। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि दक्षेस एक  फंसे हुए वाहन  की तरह है, क्योंकि इसका  एक सदस्य देश दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय ब्लॉक के अन्य सात सदस्यों के साथ आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकमत नहीं है। उन्होंने यह बात परोक्ष रूप से पाकिस्तान के संदर्भ में कही। भारत, जापान, बंगाल की खाड़ी पर कार्नेगी इंडिया संगोष्ठी में जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, पड़ोसियों को एक दूसरे से जुड़ा होना चाहिए। लेकिन सारी उम्मीदें जिस संस्था से है वह दक्षेस है। लेकिन दक्षेस नाम का वाहन दो बड़े मुद्दों आतंकवाद और समन्वय की कमी की वजह से एक तरह से फंसा हुआ है। इन मुद्दों पर सभी देश एक राय नहीं है, खासतौर पर एक देश है जो बाकी के अन्य देशों के साथ एकमत नहीं है। पिछले वर्ष 19वां दक्षेस सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था। लेकिन भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों द्वारा इसमें भाग नहीं लेने की घोषणा के बाद उसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। उनकी ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं, जब भारत दक्षेस के विकल्प के तौर पर दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों के समूह बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) को और अधिक प्रासंगिक बनाने की कोशिश कर रहा है।

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