
एक ओर जहां भगवान विष्णु को तुलसी इतनी प्यारी है कि उसे विष्णु प्रिया कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शालिग्राम स्वरूप में उनका तुलसी से विवाह हुआ है, पर इसी वजह से वह देवी लक्ष्मी की सौतन भी बन गई हैं। इसलिए याद रहे देवी लक्ष्मी को भोग लगाते समय उसमें तुलसी या तुलसी मंजरी न डालें, क्योंकि वे लक्ष्मी को नहीं भातीं और उनके नाराज होने की संभावना है। देवी लक्ष्मी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए उनके पूजन के समय लाल या गुलाबी वस्त्र पहनें। दाईं ओर दीपक रख कर उसमें लाल रंग की बाती लगायें। होनी चाहिए। उन्हें लाल और गुलाबी फूल भी अत्यंत प्रिय हैं जैसे कमल, गुड़हल और गुलाब आदि। देवी लक्ष्मी सुहागन हैं और उनका सौभाग्य अमर है। इसीलिए उन्हें सफेद रंग पसंद नहीं है, इसलिए उन्हें सफेद रंग के फूल और सफेद वस्त्र चढ़ाना वर्जित है। लाकि लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु का साथ कभी नहीं छोड़ती। मान्यता है कि जहां विष्णु होंगे वे स्वयं आएंगी। इसके बाद भी यदि देवी भागवत पुराण की मानें तो लक्ष्मी पूजन बिना प्रथम गणेश वंदना के सफल नहीं होता। इसलिए लक्ष्मी पूजा से पहले गणेश जी की आराधना जरूर करें। देवी लक्ष्मी की पूजा में हर चीज सहीं दिशा और स्थान पर होनी चाहिए। जैसे दीपक को दाईं ओर रखें, प्रसाद को भी अर्पित करते समय दक्षिण दिशा में रखें और पुष्प उनके ठीक सामने रखें। इसी तरह अगरबत्ती, धूप, धूमन और धुएं वाली सभी चीजों को बायीं ओर रखें।