एलायंस टुडे ब्यूरो
नई दिल्ली। रेप पर मौत की सजा दिये जाने के कैबिनेट के अध्यादेश को अब राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिया है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। अब रेप के लिए नया कानून होगा। पॉक्सो एक्ट में संशोधन किया जाएगा। आपको बता दें कि उन्नाव गैंगरेप और कठुआ में बच्ची से दुर्दांत दुष्कर्म व हत्या के बाद उपजे व्यापक जनाक्रोश के मद्देनजर सरकार ने शनिवार को 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले दोषियों को मौत की सजा को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में संबंधित अध्यादेश पर मुहर लगाई गई। आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश, 2018 में आईपीसी और साक्ष्य अधिनियम कानून, आपराधिक कानून प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) तथा पॉक्सो (बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण कानून) में संशोधन कर ऐसे अपराध के दोषी को मौत की सजा से दंडित करने के नए प्रावधान जोड़े गए हैं। अध्यादेश में महिलाओं से रेप करने के मामले में न्यूनतम सजा को सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया और अधिकतम सजा उम्रकैद तक बढ़ा दी गई। इसका मतलब है कि दोषी को पूरी जिंदगी जेल में बितानी पड़ सकती है। वहीं,16 वर्ष से कम की उम्र की लड़की से दुष्कर्म के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी।
अध्यादेश के अहम प्रावधान
– बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएंगी
– मामलों में पीड़ितों का पक्ष रखने के लिए राज्यों में विशेष लोक अभियोजकों के नए पद सृजित होंगे
– वैज्ञानिक जांच के लिए सभी पुलिस थानों और अस्पतालों में विशेष फॉरेंसिक किट मुहैया कराई जाएंगी
-रेप की जांच को समर्पित पुलिस बल होगा, जो समय सीमा में जांच कर आरोप पत्र अदालत में पेश करेगा
– क्राइम रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराधियों का डेटा तैयार करेगा, इसे राज्यों से साझा किया जाएगा
– पीड़ितों की सहायता के लिए देश के सभी जिलों में एकल खिड़की बनाया जाएगा।