एलायंस टुडे ब्यूरो
लखनऊ। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा कि विगत सोमवार को पूरे देश में दलित समुदाय द्वारा किया गया प्रदर्शन केंद्र सरकार नहीं बल्कि न्यायालय के विरोध में था। श्री आठवले ने देश के दलित समाज से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार दलित समाज के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उच्चतम न्यायालय से दिशा निर्देश आने के बाद लगातार शासकीय अवकाश होने के चलते दो अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकरण को लेकर कांग्रेस और बसपा हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। आठवले ने दावा किया कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी प्रमोशन में रिजर्वेशन सहित दलित समाज के अन्य मुद्दों को लेकर गम्भीर हैं और सरकार इन पर संसद में बिल लेन पर विचार कर रही है। सोमवार को पूरे देश में भारत बंद के दौरान हुए दलितों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा कि चूंकि प्रमोशन में रिजर्वेशन व्यवस्था को खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दलितों में पहले से ही गुस्सा था और फिर एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट से ताजा दिशा निर्देश आने से गुस्सा और बढ़ गया, जिसकी वजह से दलितों का गुस्सा सड़क पर दिखा। हालांकि उन्होंने हिंसक प्रदर्शन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यदि यही विरोध शांतिपूर्वक होता तो उसका असर और ज्यादा दिखता। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि दलितों का यह विरोध एनडीए सरकार के खिलाफ बिलकुल नहीं था बल्कि न्यायालय के निर्देश के विरोध में था । इस मुद्दे पर कांग्रेस और बसपा सहित अन्य दलों की तीखी आलोचना करते हुए आठवले ने कहा कि वे दलितों को भड़काना बंद करें क्योंकि देश में सत्तारूढ़ मोदी सरकार पूरी तरह से दलितों के साथ खड़ी है। दलितों की भलाई से जुड़े जो भी मुद्दे हों, उन पर एनडीए सरकार गंभीरता से विचार कर रही है और इसी आलोक में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी मुद्दे को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार की मजबूत पैरवी से दलितों को न्यायालय से न्याय मिलेगा। रामदास ने कांग्रेस और बसपा पर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि असल में ये दोनों ही पार्टियां दलित हितैषी नही हैं। इनके शासनकाल में दलितों के हित में आवश्यक कदम नहीं उठाया गया जबकि अब एनडीए कार्यकाल में दलितों के हर छोटे बड़े मुद्दे पर ध्यान दिया जा रहा है। आठवले ने कहा कि भाजपा ही नहीं देश की कोई पार्टी दलित समाज के विरोध में नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होगा तो जो पार्टी दलित समाज का विरोध करेगी उनका कोई भी प्रत्याशी चुनाव में निर्वाचन नहीं हो सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दलितों का सच्चा हितैषी बताते हुए कहा कि अभी हाल में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और दलितों के तमाम मुद्दों को उनके सामने रखा था, जिस पर मोदी ने सकारात्मक रुख जाहिर किया था।
पत्रकारों से बातचीत में आरपीआई सुप्रीमो रामदास आठवले ने कहा कि कल जो हिंसा हुई, उसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये और यह भी देखा जाना चाहिए कि इसे हिंसक बनाने के पीछे किसका हाथ है क्योंकि ऐसी तमाम रिपोर्ट आ रही हैं, जिसमें स्पष्ट कहा जा रहा कि विरोध को हिंसक बनाया गया और इसमें बसपा और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के लोग पाए गए। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्या से बातचीत की है और कहा है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर हिंसा की साजिश रचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। साथ ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान पूरे देश में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मृतक परिवारों को सरकार से मिलना चाहिए।।