नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। चीन के शियामिन शहर में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। यह जीत ब्रिक्स् के घोषणा पत्र में पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए मोहम्मद का नाम शामिल करने की बदौलत मिली है। दरअसल इस घोषणा पत्र में इन आतंकी संगठनों को इस्लामिक स्टेट में जारी हिंसा और अशांति फैलाने वाले आतंकी संगठनों की तरह मानकर इनकी पहचान की गई है। इस कामयाबी के लिए भारत काफी समय से इंतजार कर रहा था। इसके अलावा भारत ने ब्रिक्स देशों के विकास के लिए भी इस मंच से कई सुझाव दिए हैं।
ब्रिक्स का घोषणा पत्र और भारत
दरअसल, ब्रिक्स में द्विपक्षीय मुद्दे नहीं उठाए जा सकते हैं। इस वजह से भारत पिछली बार इस कामयाबी से चूक गया था। इसकी एक बड़ी वजह यह भी रही थी कि उस वक्त चूंकि भारत मेजबान देश था तो वहां पर उसके हाथ बंधे हुए थे। उस वक्त चीन और रूस ने अपनी नापसंदी के आधार पर कुछ आतंकी संगठनों को घोषणा पत्र में शामिल किया था। लेकिन इस बार भारत इसमें कामयाब हुआ है। हालांकि भारत की यह जीत मेजबान चीन को पसंद नहीं आई होगी।
पाक को सदस्य देश बनाने का इच्छुक था चीन
यहां पर यह बात भी बता देनी जरूरी होगी कि मेजबान चीन इस बार पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाने का इच्छुक था। लेकिन भारत और रूस इसके पक्ष में नहीं थे। इस बाबत विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का मानना था कि रूस और भारत कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान को इसका सदस्य बनाया जाए। इसके अलावा यह देश इस संगठन के मूलभूत ढांचे में बदलाव के भी पक्षधर नहीं है, जिससे इस पर कोई सवालिया निशान उठ सके। आगा ने इस बात से साफ इंकार किया था कि चीन इस मंशा में सफल हो सकेगा।