एलायंस टुडे ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संभावित गठबंधन को लेकर आजकल राजनीतिक गलियारों में सांप-छंछूदर की लोकोक्ति चर्चा में हैं। बीजेपी नेता अपने कार्यकर्ताओं से सपा-बसपा के गठबंधन से नहीं डरने की नसीहत देते दिखाई देते हैं। कहते हैं कि यह तो सांप-छछूंदर वाला साथ है। बावजूद कहीं नहीं कहीं डर झलक ही जाता है। सपा बसपा के लिए इसका प्रयोग सबसे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इसके बाद भाजपा के अन्य नेता मुखर होकर जनता के बीच उछालने लगे। दरअसल, इस कहावत को और सरल भाषा में समझने के लिए—गुड़ का भरा हंसिया न उगलने में न निगलने में— कुछ हद तक करीब अर्थ वाला माना जा सकता है। हालांकि यह लोकोक्ति तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस की चैपाई में भी समाहित है।
धरम सनेह उभय मति घेरी। भई गति सांप-छछूंदर केरी।
कहा जाता है कि छछूंदर की विशेषता है कि यदि सांप उसे निगल ले तो या तो वह अन्धा हो जाता है या फिर मर जाता है। दांतों की विशेष बनावट के कारण सांप-छछूंदर को बाहर उगल नहीं सकता एवं प्राणहानि के भय से वह उसे निगलना भी नहीं चाहता ऐसी परिस्थिति में फंसे सांप की गति के समान परिस्थितियों में फंसे व्यक्ति की तुलना की जाती है। मूल प्रसंग माता कौशिल्या की मनोदशा से है। प्रसंगवश यह कथन सपा-बसपा के गठजोड़ पर काफी सटीक बैठता है।
जनता के गठबंधन के सामने कोई नहीं टिक पाएगा
एक साल-नई मिसाल कार्यक्रम में रविवार को फतेहपुर पहुंचे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन से डरने की जरूरत नहीं है। यह तो सांप-छछूंदर वाला साथ है। जनता के गठबंधन के सामने कोई गठबंधन टिक नहीं पाएगा। इसके लिए गरीब के घर से घर जाएं, चाय पिए, रोटी खाएं। फतेहपुर पत्रकारों से बातचीत में पांडेय ने कहा कि भाजपा के 21 राज्यों में परचम फहराने से घबराकर अखिलेश-माया ने गठबंधन किया है। संप्रग सरकार में मुलायम और मायावती को घेरते हुए कहा कि निहित स्वार्थ के लिए जुड़े रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू के गठबंधन से अलग होने के प्रश्न पर बोले कि दक्षिण में ऐसा पहले भी होता रहा है। गठबंधन पूरी तरह से मजबूत है, किसी का रहना न रहना उसके विवेक पर है। लोकसभा के चुनाव में सभी सीटों पर जीत का दावा करते हुए कहा कि जाति-धर्म की सियासत करने वाले बैठफुट पर आ गए है। सबका साथ, सबका विकास के नाम पर जनता भाजपा के साथ है।