एक कॉलेज की छात्रा को एक शोहदे ने छेड़ा, छात्रा ने इलाकाई थाने में तैनात महिला पुलिस कर्मी को फौरन फोन कर लोकेशन बताई, सिपाही तत्काल मौके पर पहुंची और शोहदे को धर लिया। डुमारियाडीह गांव की एक विवाहिता को रोजाना ससुराल वाले परेशान करते थे, उसने भी फोन किया तो महिला सिपाही ने मौके पर पहुंचकर सबको समझाया। ये तो दो एक बानगी भर है। यहां थाने में तैनात नई बैच की महिला पुलिस क्षेत्र की आधी आबादी के लिए सहेली सरीखी बन गई है। कुछ समय पहले महिलाएं घर की दहलीज नहीं लांघ पाती थीं, आज वही महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। यह सभी दूसरों के लिए नजीर बन रही हैं। वजीरगंज थाने के 101 गांवों की सुरक्षा के लिए 12 महिला सिपाही अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह महिला सिपाही डे अफसर, पहरा, आफिस व फील्ड में अपनी भूमिका के अलावा गांवों में झगड़ा-फसाद तक निपटाने का काम करती हैं। इन सिपाहियों का कहना है कि बेटियां किसी से कम नहीं हैं। बेटियों ने दिखा दिया है कि वे सभी काम कर सकती हैं। वे कहती हैं कि हमें आधी-आबादी का दर्द पहले से पता है। इसलिए उन्हें ड्यूटी अच्छी लगती है। बस उनका दर्द यह है कि थाने में आवास की कमी के चलते कई को एक ही आवास में रहना पड़ता है। उनका कहना है कि यहां की आधी आबादी निरक्षर होने से आए दिन नोक -झोंक होती रहती है। आफिस में काम कर रहीं उर्दू अनुवादक भी महिला सशक्तीकरण को लेकर उत्साहित हैं। उनका कहना है कि सभी क्षेत्रों में महिला सहकर्मी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। तमाम घरेलू मामले यह सहेली पुलिस थाने मे निपटा रही हैं।