मल्टीटास्किंग जॉब।

एक युवा पूरे दिन में कई कंपनियों के लिए काम करे तो इसे कहते हैं मल्टीटास्किंग जॉब। जिस तरह के कंपनियां अलग-अलग काम के लिए विशेषज्ञ तलाशती हैं ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाला दौर मल्टीटास्किंग जॉब का ही होगा। इससे युवाओं के साथ-साथ कंपनियों को भी फायदा होता है। इसलिए अब आप भी इसका फायदा उठाएं और दूसरों से आगे रहें।
मल्टीटास्किंग एक ऐसी चीज है जो हमारी दिनचर्या और जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। वो इसलिए क्योंकि हमारे पास समय कम होता है और काम ज्यादा। और समय बचाने के लिए भी लोग बहुकार्य करते हैं। यह पूरा ताना-बाना मल्टीटास्किंग कहलाता है। काम में अक्सर लोग इसे अपना रहे हैं। अर्थात एक साथ दो या तीन काम करके लोग मल्टीटास्किंग से खूब पैसा कमा रहे हैं। पेरेंट्स को भी सुकून रहता है कि उनका बेटा/बेटी बेरोजगार नहीं है।

आने वाला दौर इसी का
युवाओं की ओर से मिलने वाले सकारात्मक परिणामों ने अन्य लोगों के जीवन में भी ऊर्जा भरने का कार्य किया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में मल्टीटास्किंग करियर एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आएगा और एक बड़ी जनसंख्या इस चैलेंजिंग ट्रेंड को अपनाने में नहीं हिचकेगी।
अनुभव के साथ पैसा भी
करियर काउंसलर कहते हैं कि दो अलग-अलग पार्टटाइम जॉब करने का एक फायदा यह भी है कि इसमें आप दो तरह के अनुभव हासिल करते हैं, जिससे आत्मज्ञान और आत्मकौशल में निखार आता है। आगे चल कर इन्हीं में से कोई एक आपका फुलटाइम प्रोफेशन भी बन सकता है।
समझ जाएं समय की मांग
यदि किसी समय यह प्रतीत होने लगे कि फलां काम आपकी इच्छा के अनुरूप नहीं चल रहा है तो बिना किसी हिचक के आप उसे छोड़ भी सकते हैं। जितने समय तक आप उसे कर रहे हैं, उतने समय तक आपको पारिश्रमिक मिलता रहेगा। यह एक तरह से समय की मांग है, जिसे पूरा किए बगैर आप प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं सकते।
नया है ट्रेंड
विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि पार्टटाइम का कॉन्सेप्ट काफी पुराना है, परन्तु दो पार्टटाइम जॉब का ट्रेंड बिल्कुल नया आधार लेकर आया है। कुछ लोग 8-10 घंटे की जॉब में ही खुद को फिट मानते हैं। इससे परे कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें यदि मनमाफिक काम मिले तो वे 12-14 घंटे काम करने में भी नहीं हिचकते और थकते। इन मेहनतपसंद लोगों के लिए ‘दो पार्टटाइम जॉब एक साथ’ का कांसेप्ट अधिक फायदा पहुंचा सकता है। पर यह दोहरी जिम्मेदारी है, जिसके लिए खुद को पहले तैयार करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह कार्य इतना आसान भी नहीं होता।
बनाएं बेहतर तालमेल
यह एक प्रायोगिक विधा है, फिर भी इसे असंभव नहीं माना जा सकता। इस तरह के कॉन्सेप्ट में सबसे अहम चीज टाइम मैनेजमेंट होती है, क्योंकि आपको तीन परिस्थितियों (दो पार्टटाइम जॉब व घर-परिवार) का सामना करना पड़ता है तथा उसमें बेहतर तालमेल भी बिठाना पड़ता है। कई बार इसमें पारिवारिक जीवन भी गड़बड़ा जाता है।
तनाव को दूर रखें
घर पर रह कर काम करना आसान होता है, परन्तु जहां तक ऑफिस का सवाल है तो हर ऑफिस की अपनी मांग होती है कि आपको सुबह आना है या शाम को। ऊपर से यात्रा संबंधी दिक्कतें भी सामने आती हैं। कई मर्तबा एक या दो घंटे का सफर भी भारी पड़ सकता है। यदि आपने सही तरीके से टाइम मैनेजमेंट नहीं किया है तो इससे तनाव भी पैदा हो सकता है। तकनीकी क्षेत्रों में यह ट्रेंड अधिक सफल साबित होता है।

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