गांधीनगर: अपने विशेष सामरिक संबंधों को और गहरा बनाते हुए भारत और जापान ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच आपसी सहयोग को मजबूत बनाने और पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद एवं लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी समूहों समेत आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति की पुरजोर वकालत की। दोनों देशों ने वैश्विक एवं द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए नागर विमानन, कारोबार, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, खेल समेत विभिन्न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द..प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमति व्यक्त की.
मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गुरुवार (14 सितंबर) को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों समेत विविध विषयों पर व्यापक चर्चा की।दोनों नेताओं ने कारोबार, सुरक्षा और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाने पर भी चर्चा की। मोदी ने कहा कि भारत-जापान संबंध द्विपक्षीय अथवा क्षेत्रीय परिदृश्य तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे बीच अहम वैश्विक मुद्दों पर भी करीबी सहयोग है।
दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और मूल्यों पर आधारित इस गठजोड़ को मुक्त, निर्वाध और समृद्ध हिन्द प्रशांत क्षेत्र का निर्माण करने में उपयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सम्प्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाना चाहिए और आपसी मतभेदों को बातचीत के जरिये सुलझाया जाना चाहिए जहां बड़ा या छोटा देश, सभी नौवहन और उड़ान संबंधी स्वतंत्रता का आंनद उठा सके। संयुक्त बयान में हालांकि दक्षिण चीन सागर का जिक्र नहीं किया गया।पिछले साल संयुक्त बयान में इसका जिक्र था।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के बाद कहा कि हम एक जापान-भारत निवेश सहयोग रूपरेखा पर सहमत हुए हैं। ‘‘ हमने संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर किया है जो भारत..जापान संबंधों में नये युग का सूत्रपात करता है. इसके आधार पर हम भारत-जापान के विशेष सामरिक संबंधों और वैश्विक गठजोड़ को मजबूती से आगे बढ़ायेंगे और इससे हिन्द.. प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा.’’