एलायंस टुडे ब्यूरो
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर आज 17वें दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं का निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रहा। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का नियमानुसार कार्य आन्दोलन, लगातार चल रहा है जिसके अन्तर्गत बिजली कर्मचारी अवकाश के दिनों में कोई भी कार्य नहीं कर रहे हैं। 30 मार्च से प्रारम्भ हुए ‘ज्ञापन दो अभियान’ के अन्तर्गत आज बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश भर में अनेक सांसदों और विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिये। कई सांसदों और विधायकों ने माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस लेेने की मांग की है। संघर्ष समिति की बैठक में आज यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण के विरोध में आगामी 06 अप्रैल को राजधानी लखनऊ में मोटरसाइकिल रैली निकाली जायेगी। इसके साथ ही प्रतिदिन विरोध सभाओं का कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेगा।
संघर्ष समिति ने माननीय ऊर्जा मंत्री द्वारा प्रेस विज्ञप्ति में दिये गये इन पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ और मुरादाबाद को निजीकरण करने पर भर्ती में होने वाली वृद्धि वाले बयान को खेदजनक एवं पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं के साथ मजाक एवं गुमराह करने वाला बताया। लखनऊ शहर में ही मुख्य अभियन्ता के 02 पद, अधीक्षण अभियन्ता के 13 पद, अधिशासी अभियन्ता के 45 पद, सहायक अभियन्ता के 135 पद, अवर अभियन्ता के 200 पद तथा परिचालकीय एवं लिपिकीय संवर्ग के 1000 पद के साथ-साथ लगभग 4000 संविदा कर्मी कार्यरत हैं। इस प्रकार अकेले लखनऊ शहर में लगभग 5500 अभियन्ता एवं कार्मिक कार्यरत हैं। यह स्पष्ट है कि निजीकरण होने के बाद यह सभी पद समाप्त हो जायेंगे। इसी प्रकार इन सभी 05 शहरों में निजीकरण के चलते लगभग
20 हजार पद समाप्त हो जायेंगे जिससे कि भविष्य मेें पावर कारपोरेशन में भर्तियां बन्द हो जायेंगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार के 1 साल होने पर प्रति वर्ष 4 लाख नौकरियां देने का वादा किया है। ऐसे स्थिति में ऊर्जा मंत्री का उपर्युक्त बयान पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों के प्रति गलत एवं निराशाजनक व मजाक है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आज मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के गेट पर निजीकरण के विरोध में सरकार एवं प्रबन्धन की सद्बुद्धि के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया। संघर्ष समिति ने बताया कि प्रदेश सरकार और ऊर्जा निगम प्रबन्धन के हठवादी तथा तानाशाही रवैये से जहां एक ओर आम जनता को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर कार्मिकों में लगातार रोष बढ़ता जा रहा है तथा ऊर्जा निगमों में टकराव एवं औद्योगिक अशान्ति की स्थिति बढ़ती जा रही है। सरकार को निजीकरण के फैसले को निरस्त करते हुए निगम कर्मचारियों एवं अधिकारियों को विश्वास में लेकर सुधारीकरण के अन्य उपायों पर ध्यान देना चाहिए जिससे वास्तव में विभाग व प्रदेश की जनता को वास्तविक लाभ मिल सके क्योंकि नौकरशाहों द्वारा सरकार को मात्र काल्पनिक लाभ दिखाये गये हैं। उधर बिजली कर्मचारियों का नियमानुसार कार्य आन्दोलन साथ ही 03 से 05 बजे तक विरोध सभायें पूरे प्रदेश में जारी हैं।