
नई दिल्ली भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी हुई है। हालांकि, भारत इससे तटस्थ ही रहा है। उसकी इसमें कोई भूमिका नहीं रही है। इसके बावजूद पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस भारतीय क्रिकेटरों को अपने देश में देखना चाहते हैं। हालांकि, भारत सरकार के कड़े रुख के बाद बीसीसीआइ ने कह दिया है कि वह सरकार की इच्छा के खिलाफ पाकिस्तान से क्रिकेट संबध बहाल नहीं कर सकता।
बच्चों की तरह लड़ते हैं भारत-पाक के खेल संघ
भारत और पाकिस्तान के बीच खेलों की प्रतिद्वंद्विता काफी पुरानी है। पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों के राजनेता और लोग कभी युद्ध के जरिए अपना उन्माद शांत करते हैं तो कभी खेलों के जरिए। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तानी तत्वों का हाथ सामने आने के बाद से दोनों देशों के बीच क्रिकेट के संबंध स्थगित हैं। दोनों देशों ने कुछ समय तक हॉकी खेली, लेकिन बाद में बचकानी वजहों से दोनों देशों के बीच हॉकी भी बंद हो गई।
बचकानी वजहें इसलिए, क्योंकि पाकिस्तान ने 2014 में चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में भुवनेश्वर में हुए मैच में भारत को हरा दिया था। इस जीत के बाद अति उत्साह में आए पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने जर्सी खोल कर मैदान पर जश्न मनाया था। इसके साथ ही कुछ खिलाड़ियों ने दर्शकों की ओर ‘मिडल फिंगर’ भी दिखाई थी। इससे नाराज हॉकी इंडिया ने पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय हॉकी संबंध लगभग खत्म कर दिए। हॉकी इंडिया ने पाक खिलाड़ियों के व्यवहार के लिए पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन से लिखित में माफी मांगने को कहा था, जबकि कुछ ही खिलाड़ियों ने अभद्र व्यवहार किया था तो कई खिलाड़ी सम्मान के साथ भारतीय दर्शकों का आभार जता रहे थे। पाकिस्तानी हॉकी संघ के ऐसा न करने पर दोनों देशों के बीच हॉकी के संबंध ठंडे बस्ते में चले गए हैं। हां, क्रिकेट की तरह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हम पाकिस्तान के साथ हॉकी भी खेल रहे हैं।
हॉकी, कुश्ती, स्नूकर पर भी पड़ा असर
पाकिस्तानी हॉकी खिलाड़ियों के इस व्यवहार के बाद से और भी कई खेलों पर इसका असर पड़ा। भारत ने 2016 के अंत में जूनियर हॉकी विश्व कप में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा नहीं दिया था। पाकिस्तानी खेल अधिकारियों ने इसे 2014 में भारत को हॉकी में मिली हार का बदला बताया था। इसके बाद 2017 में भारत में हुई एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप और एशियन स्नूकर चैंपियनशिप में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा नहीं मिला था। हर साल भारत में होने वाले आइपीएल में तो पाकिस्तानी खिलाड़ी बैन हैं ही।
पाकिस्तानी गलत तो कोहली कैसे सही?
भारत-पाक के मैच में दर्शकों और खिलाड़ियों के बीच पारे का स्तर काफी ऊंचा रहता है। इसके बावजूद खिलाड़ियों को मैदान पर संयम परतना चाहिए, क्योंकि वह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और दर्शकों के उकसावे में नहीं आना चाहिए। हालांकि, यही तर्क भारतीय खिलाड़ियों पर लागू होता है। 2012 में मौजूदा भारतीय कप्तान विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के एसएसजी ग्राउंड पर हो रहे टेस्ट मैच में दर्शकों के उकसावे में आकर अपनी मिडल फिंगर उन्हें दिखा दी थी। कोहली की यह हरकत कैमरे में भी कैद हो गई थी।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में कोहली की खिंचाई भी हुई थी। तब बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने कोहली का समर्थन किया था और कहा था कि आलोचनाओं पर ध्यान मत दीजिए। तब आइसीसी ने कोहली पर मैच फी का 50 फीसदी फाइन लगाया था। सोचिए, अगर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड भी कोहली, भारतीय टीम या बीसीसीआइ के माफी मांगने पर अड़ जाता और भारत से क्रिकेट खेलना बंद कर देता तो हमें दोनों देशों के बीच होने वाली रोमांचक क्रिकेट सीरीज देखने को मिलती?
धौनी और कोहली को किया पाकिस्तानियों ने मिस
अब एक नजर पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस पर डालते हैं कि उन्होंने विश्व एकादश में भारतीय खिलाड़ियों के बारे में क्या राय रखी। पाकिस्तान में विश्व एकादश की टीम तीन टी-20 मैचों का इंडिपेंडेंट कप खेलने आई थी। इसमें पाकिस्तानी टीम ने विश्व एकादश को 2-1 से मात देकर अपने देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी का शानदार आगाज किया। विश्व एकादश में भारत का कोई भी खिलाड़ी नहीं खेला। 2008 के बाद से अंतरराष्ट्रीय टीमें पाकिस्तान का दौरा करने से कतराती रही हैं।
पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों ने इस सीरीज में भारतीय खिलाड़ियों कोहली और धौनी को मिस किया। इन दोनों खिलाड़ियों की पाकिस्तान में लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ तो धौनी की बल्लेबाजी और उनके हेयरस्टाइल दोनों के कायल थे।
वहीं, पाकिस्तान में कोहली का पोस्टर लगाने और भारतीय झंडा फहराने को लेकर एक पाक क्रिकेट फैन को सजा सुनाए जाने का मामला भी सामने आया था। इन दोनों खिलाड़ियों से पहले पाकिस्तान में सचिन तेंदुलकर की काफी धूम थी। भारतीय खिलाड़ी अपने पाकिस्तानी दौरों की यादों के बारे में जब भी बात करते हैं तो पाकिस्तानियों की मेहमाननवाजी की तारीफ करते नहीं थकते।
खेल से मिट सकती हैं दूरियां
पाकिस्तानी दर्शकों के पोस्टर्स में साफ लिखा नजर आ रहा है कि क्रिकेट ने आतंकवाद को हरा दिया। इससे जाहिर है कि पाकिस्तानी नागरिक आतंकवाद से पीड़ित हैं न कि वह आतंकवादी हैं। दोनों देशों के उन्मादी मीडिया की वजह से ऐसा माहौल बन गया है मानो पूरा पाकिस्तान ही आतंकवादी है। संभव है कि सीमा पार हमारे देश के बारे में भी ऐसी ही छवि गढ़ी जा रही हो। ऐसे हालात में खेल ही ऐसा जरिया है, जिससे दोनों देशों के बीच कड़वाहट को कम किया जा सकता है। उम्मीद है कि दोनों देशों के नागरिकों को यह बात समझ आएगी और खेल प्रशासक हुक्मरानों के दबाव में नहीं आएंगे
नई दिल्ली भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी हुई है। हालांकि, भारत इससे तटस्थ ही रहा है। उसकी इसमें कोई भूमिका नहीं रही है। इसके बावजूद पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस भारतीय क्रिकेटरों को अपने देश में देखना चाहते हैं। हालांकि, भारत सरकार के कड़े रुख के बाद बीसीसीआइ ने कह दिया है कि वह सरकार की इच्छा के खिलाफ पाकिस्तान से क्रिकेट संबध बहाल नहीं कर सकता।
बच्चों की तरह लड़ते हैं भारत-पाक के खेल संघ
भारत और पाकिस्तान के बीच खेलों की प्रतिद्वंद्विता काफी पुरानी है। पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों के राजनेता और लोग कभी युद्ध के जरिए अपना उन्माद शांत करते हैं तो कभी खेलों के जरिए। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तानी तत्वों का हाथ सामने आने के बाद से दोनों देशों के बीच क्रिकेट के संबंध स्थगित हैं। दोनों देशों ने कुछ समय तक हॉकी खेली, लेकिन बाद में बचकानी वजहों से दोनों देशों के बीच हॉकी भी बंद हो गई।
बचकानी वजहें इसलिए, क्योंकि पाकिस्तान ने 2014 में चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में भुवनेश्वर में हुए मैच में भारत को हरा दिया था। इस जीत के बाद अति उत्साह में आए पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने जर्सी खोल कर मैदान पर जश्न मनाया था। इसके साथ ही कुछ खिलाड़ियों ने दर्शकों की ओर ‘मिडल फिंगर’ भी दिखाई थी। इससे नाराज हॉकी इंडिया ने पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय हॉकी संबंध लगभग खत्म कर दिए। हॉकी इंडिया ने पाक खिलाड़ियों के व्यवहार के लिए पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन से लिखित में माफी मांगने को कहा था, जबकि कुछ ही खिलाड़ियों ने अभद्र व्यवहार किया था तो कई खिलाड़ी सम्मान के साथ भारतीय दर्शकों का आभार जता रहे थे। पाकिस्तानी हॉकी संघ के ऐसा न करने पर दोनों देशों के बीच हॉकी के संबंध ठंडे बस्ते में चले गए हैं। हां, क्रिकेट की तरह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हम पाकिस्तान के साथ हॉकी भी खेल रहे हैं।
हॉकी, कुश्ती, स्नूकर पर भी पड़ा असर
पाकिस्तानी हॉकी खिलाड़ियों के इस व्यवहार के बाद से और भी कई खेलों पर इसका असर पड़ा। भारत ने 2016 के अंत में जूनियर हॉकी विश्व कप में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा नहीं दिया था। पाकिस्तानी खेल अधिकारियों ने इसे 2014 में भारत को हॉकी में मिली हार का बदला बताया था। इसके बाद 2017 में भारत में हुई एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप और एशियन स्नूकर चैंपियनशिप में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा नहीं मिला था। हर साल भारत में होने वाले आइपीएल में तो पाकिस्तानी खिलाड़ी बैन हैं ही।
पाकिस्तानी गलत तो कोहली कैसे सही?
भारत-पाक के मैच में दर्शकों और खिलाड़ियों के बीच पारे का स्तर काफी ऊंचा रहता है। इसके बावजूद खिलाड़ियों को मैदान पर संयम परतना चाहिए, क्योंकि वह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और दर्शकों के उकसावे में नहीं आना चाहिए। हालांकि, यही तर्क भारतीय खिलाड़ियों पर लागू होता है। 2012 में मौजूदा भारतीय कप्तान विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के एसएसजी ग्राउंड पर हो रहे टेस्ट मैच में दर्शकों के उकसावे में आकर अपनी मिडल फिंगर उन्हें दिखा दी थी। कोहली की यह हरकत कैमरे में भी कैद हो गई थी।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में कोहली की खिंचाई भी हुई थी। तब बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने कोहली का समर्थन किया था और कहा था कि आलोचनाओं पर ध्यान मत दीजिए। तब आइसीसी ने कोहली पर मैच फी का 50 फीसदी फाइन लगाया था। सोचिए, अगर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड भी कोहली, भारतीय टीम या बीसीसीआइ के माफी मांगने पर अड़ जाता और भारत से क्रिकेट खेलना बंद कर देता तो हमें दोनों देशों के बीच होने वाली रोमांचक क्रिकेट सीरीज देखने को मिलती?
धौनी और कोहली को किया पाकिस्तानियों ने मिस
अब एक नजर पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस पर डालते हैं कि उन्होंने विश्व एकादश में भारतीय खिलाड़ियों के बारे में क्या राय रखी। पाकिस्तान में विश्व एकादश की टीम तीन टी-20 मैचों का इंडिपेंडेंट कप खेलने आई थी। इसमें पाकिस्तानी टीम ने विश्व एकादश को 2-1 से मात देकर अपने देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी का शानदार आगाज किया। विश्व एकादश में भारत का कोई भी खिलाड़ी नहीं खेला। 2008 के बाद से अंतरराष्ट्रीय टीमें पाकिस्तान का दौरा करने से कतराती रही हैं।
पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों ने इस सीरीज में भारतीय खिलाड़ियों कोहली और धौनी को मिस किया। इन दोनों खिलाड़ियों की पाकिस्तान में लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ तो धौनी की बल्लेबाजी और उनके हेयरस्टाइल दोनों के कायल थे।
वहीं, पाकिस्तान में कोहली का पोस्टर लगाने और भारतीय झंडा फहराने को लेकर एक पाक क्रिकेट फैन को सजा सुनाए जाने का मामला भी सामने आया था। इन दोनों खिलाड़ियों से पहले पाकिस्तान में सचिन तेंदुलकर की काफी धूम थी। भारतीय खिलाड़ी अपने पाकिस्तानी दौरों की यादों के बारे में जब भी बात करते हैं तो पाकिस्तानियों की मेहमाननवाजी की तारीफ करते नहीं थकते।
खेल से मिट सकती हैं दूरियां
पाकिस्तानी दर्शकों के पोस्टर्स में साफ लिखा नजर आ रहा है कि क्रिकेट ने आतंकवाद को हरा दिया। इससे जाहिर है कि पाकिस्तानी नागरिक आतंकवाद से पीड़ित हैं न कि वह आतंकवादी हैं। दोनों देशों के उन्मादी मीडिया की वजह से ऐसा माहौल बन गया है मानो पूरा पाकिस्तान ही आतंकवादी है। संभव है कि सीमा पार हमारे देश के बारे में भी ऐसी ही छवि गढ़ी जा रही हो। ऐसे हालात में खेल ही ऐसा जरिया है, जिससे दोनों देशों के बीच कड़वाहट को कम किया जा सकता है। उम्मीद है कि दोनों देशों के नागरिकों को यह बात समझ आएगी और खेल प्रशासक हुक्मरानों के दबाव में नहीं आएंगे