छात्र प्रद्युम्न की हत्या का राज खोलने निकली पुलिस गवाहों के बदलते बयान से उलझी कहानी

गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या का राज खोलने निकली पुलिस और बाद में सीबीआई ने अब तक 15 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। मगर इन गवाहों ने जो कुछ बयान किया उन्हें जोड़कर कोई कहानी नहीं बुनी जा सकती। कई गवाहों के बदलते बयान से मामला और उलझ गया। उन सभी गवाहों ने अपने बयान में क्या कहा। आठ सितंबर को हुए प्रद्युम्न हत्याकांड की कहानी गवाहों की वजह से कई तरह के विरोधाभास से गुजरी। पुलिस ने सौ से अधिक लोगों से पूछताछ और मौका-ए-वारदात से मिले सबूतों के आधार पर अशोक को गुनहगार बनाया तो सीबीआई ने डेढ़ सौ से अधिक लोगों से पूछताछ के आधार पर रेयान स्कूल के नाबालिग छात्र को कातिल करार दिया। दोनों ही जांच एजेंसियों की कहानी गवाहों की वजह से उलझी है। फिलहाल सीबीआई ने नाबालिग को कातिल बताया है पर कंडक्टर अशोक को क्लीन चिट नहीं दी।पुलिस की जांच में सात गवाह बेहद अहम निकले। इनमें स्कूल शिक्षक अंजू डुडेजा, बस ड्राइवर सौरभ, माली हरपाल और कक्षा दो के तीन बच्चे और 11वीं का छात्र (सीबीआई का आरोपी) शामिल थे। पुलिस ने इन सभी से गहन पूछताछ की थी। इसके बाद दावा किया था कि हत्या अशोक ने की है। पुलिस ने अपने दावे को मजबूत करते हुए कहा कि जिस चाकू से हत्या की गई। अशोक उसे बस के टूल किट से लेकर आया था, लेकिन बस ड्राइवर ने इसका खंडन कर दिया। यह भी बात सामने आई कि अशोक प्रद्युम्न को लेकर अस्पताल गया। इन चीजों के सामने आने के बाद पुलिस की थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए थे। मामले में आठ सेकेंड की सीसीटीवी फुटेज सबसे अहम सुबूत बनी। इसमें तीन-चार लोगों की हल्की तस्वीर दिख रही थी। इसमें बच्चों के पीछे का बैग दिख रहा था। जिसे अधिकारी पहचानने के लिये तीन-चार बार वीडियो को दिखाकर बच्चों से पूछताछ कर रहे थे। इसके बाद बच्चों ने आरोपी के बैग के बारे में जानकारी दी थी।एफआईआर रिपोर्ट में भी अंजू डुडेजा मैडम का नाम दर्ज है। घटना की सूचना भी उन्हीं के हवाले से दी गई थी। पुलिस ने अंजू मैडम से तीन बार पूछताछ की थी। सीबीआई भी अंजू डुडेजा से पूछताछ कर चुकी है। घटना की जानकारी उसे माली हरपाल ने दे दी थी, इसके बाद वह अशोक की मदद से अस्पताल ले गईं। ऐसे में सवाल है कि अशोक को जब उन्होंने देखा तो क्या उस वक्त अशोक के कपड़ों पर खून के छींटे थे। अशोक की मनोदशा क्या थी?
पुलिस ने कक्षा दो के उन तीन बच्चों से भी पूछताछ की थी जो बाथरूम में कराटे की ड्रेस बदलने आए थे। पुलिस ने दावा किया था कि बच्चों से जानकारी दी कि बाथरूम में जाते और आते वक्त अशोक को देखा था। पुलिस ने इन बयानों को 164 के बयान कोर्ट में दर्ज कराए थे। पुलिस ने जांच में इस बड़ा अहम बताया था और इसी आधार पर अशोक को मुख्य आरोपी बनाया था। इन बच्चों के अभी भी महत्वपूर्ण हैं।हत्या की जानकारी सबसे पले हरपाल को मिली थी, हरपाल ने अंजू मैडम और दूसरे बच्चों के बाथरूम में पड़े होने की सूचना दी थी। शुरुआती बयान में हरपाल ने अशोक का बचाव किया और कहा था कि अशोक के कपड़ों पर खून नहीं था।  प्रद्युम्न की हत्या में सीबीआई की तरफ से हत्यारोपी बनाए गए 11वीं के छात्र से भी पुलिस ने पूछताछ की थी, हालांकि पुलिस को छात्र अपने जवाबों से गच्च दे दिया था। कुछ ही घंटे बाद पुलिस ने छात्र को क्लीन चिट दे दी थी और अशोक के खिलाफ पुलिस ने इसी छात्र को मुख्य गवाह भी बनाया था। फिर सीबीआई के सामने कबूलनामा व सुधारगृह पहुंच बयान से मुकरने से पूरे मामला संदेह के घेर में है।अशोक जिस बस में कंडक्टर था, सौरभ उसका ड्राइवर था। मीडिया ने अशोक की मनोदशा पर चाकू के बारे में सौरभ से पूछताछ की तो विरोधाभासी बयान सामने आए। सौरभ ने पहले कहा था चाकू बस में नहीं था। बाद में बयान बदल दिया

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