एजेंसी
बीजिंग। चीन की सेना हर तरह के मौसम में सीमा क्षेत्रों की निगरानी के लिए नए तरह के उपकरण विकसित कर रही है। इनमें ‘उपग्रह पूर्व चेतावनी प्रणाली’ जैसे उपकरण भी शामिल हैं। चीन की सरकारी मीडिया ने रविवार को कहा कि ‘उपग्रह पूर्व चेतावनी निगरानी प्रणाली’ का ऐसे सीमांत इलाकों में इस्तेमाल करने की योजना है जहां पर विवाद है या जहां प्रवेश और गश्त करना मुश्किल है। वहीं सीमा क्षेत्रों में निगरानी कैमरे का नेटवर्क भी विकसित किया जाएगा और उसका दायरा बढ़ाया जाएगा। हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि यह चीन के सभी सीमांत क्षेत्रों के लिए है या चुनिंदा क्षेत्रों के लिए। बता दें कि भारत और चीन के बीच 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा में अरुणाचल प्रदेश भी आता है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत बताकर अपना दावा जताता है।
‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सैन्य विशेषज्ञ सोंग झांगपिंग के हवाले से कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की निगरानी व्यवस्था, सूचना प्रणाली, उपकरणों और वाहनों की मदद से सुरक्षा को किसी भी प्रकार का खतरा होने पर पूर्व चेतावनी मिल सकेगी। इसमें गश्त तथा मानवरहित निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए ड्रोन और निगरानी रखने वाले वाहन (ट्रेकिंग वेहिकल) शामिल हैं। चीन की लंबी सीमाओं पर भिन्न भौगोलिक वातावरण को देखते हुए पीएलए ने ऐसे उपकरण विकसित किए हैं जिनका इस्तेमाल जमीन के साथ हवा और पानी में भी हो सकता है।