हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह पितरों को समर्पित होता है हिन्दू धर्म में पितरों का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध के दौरान हम अपने पूर्वजो का आशीर्वाद पाने के लिए 16 दिनों तक श्राद्ध आदि कर्म करते है। हमारे देश में श्राद्ध ,पिण्डदान और तर्पण करने के लिए कई तीर्थ स्थान है।
गया में पितरों का पिंडदान करने का विशेष महत्व है। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर फल्गु नदी के तट पर गया बसा हुआ है। पितृ पक्ष के दौरान यहां हजारों की संख्या में लोग अपने पितरों का पिण्डदान करते है। ऐसी मान्यता है कि यदि इस स्थान पर पिण्डदान किया जाय तो स्वर्ग मिलता है
प्रयाग को सभी तीर्थों में प्रमुख स्थान माना जाता है यहां पर तीन नदिया गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। पितृपक्ष में प्रयाग का विशेष स्थान है माना जाता है भगवान राम ने अपने पितरों का श्राद्ध यहीं पर किया था जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पितृपक्ष में बड़ी संख्या में लोग यहां पर अपने पूर्वजो को श्राद्ध देने आते है
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ भारत के चार प्रमुख धामों में एक है। यह स्थान भगवान विष्णु का है जहां पर विराजते है। बद्रीनाथ के ब्रहमाकपाल क्षेत्र में तीर्थयात्री अपने पितरों का आत्मा का शांति के लिए पिंडदान करते हैं। ऐसी मान्यता है यही पर पाण्डवों ने भी अपने पितरों का पिंडदान किया था
सिद्धनाथ मध्य प्रदेश
यह स्थान उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे है यहां पर भी पितरों को श्राद्ध अर्पित करते है। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर एक वटवृक्ष है जिसे माता पार्वती ने अपने हाथो से स्वयं लगाया था। पितर पक्ष में बड़ी संख्या में लोग इस स्थान पर अपने पितरों को श्राद्ध देते हैं