संजय दत्त बुधवार की दोपहर करीब सवा दो बजे गंगा किनारे रानी घाट पहुंचे। वहां पं. राजेंद्र वैदिक के आचार्यत्व में सात ब्राह्मण पहले से तैयार थे। पुष्पों से मढ़ी बनाई गई आकर्षक रंगोली के करीब वाले प्लेटफार्म पर वैदिक कर्मकांड शुरू हुआ। संजू बाबा ने सफेद कुर्ता पायजामा पहन रखा था। पुरोहितों के दल ने मंत्रोच्चार के बीच सुनील दत्त और नर्गिस दत्त समेत संजय दत्त के पूर्वजों की सात पीढ़ियों का पिंडदान कराया। इस दौरान ऑनस्क्रीन बेटी अदिति राव हैदरी भी उनके साथ थीं।माता-पिता सहित सात पीढ़ियों का पिंडदान करने के बाद रानी घाट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए संजय दत्त ने कहा कि मेरे लिए बनारस आकर पिंडदान करना बहुत जरूर थी। मेरे पिता (सुनील दत्त) ने मौत से पहले आखिरी मुलाकात में मुझसे कहा था कि जब आजाद होना तो मेरा और अपनी मां का काशी में पिंडदान अवश्य करना। अब मैं आजाद हो गया हूं तो यह कार्य करना मेरी प्राथकिता थी। पिंडदान करने के बाद मुझे पापा की अंतिम इच्छा पूरी करने की खुशी हो रही है।