एलायंस टुडे ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से एससी-एसटी कानून संबंधी अपने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इन समुदायों के अधिकारों के संरक्षण और अत्याचार करने के दोषी व्यक्तियों को दंडित करने का सौ फीसदी हिमायती है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अदालत में केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ऐसे नियम या दिशानिर्देश नहीं बना सकती जो विधायिका द्वारा पारित कानून के विपरीत हों। उन्होंने फैसले को वृहद पीठ को सौंपने की मांग की। पीठ ने अपने 20 मार्च के फैसले को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हमने सभी पहलुओं और फैसलों पर विचार किया था। पीठ ने कहा कि वह सौ फीसदी इन समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने और उन पर अत्याचार के दोषी व्यक्तियों को दंडित करने के पक्ष में है। कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधानों में कुछ सुरक्षात्मक उपाय करने के फैसले पर केंद्र ने दो अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने 27 अप्रैल को केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया था। उसने स्पष्ट कर दिया था कि वह इस मामले में और किसी याचिका पर विचार नहीं करेगी। न्यायालय ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर फैसले तक 20 मार्च के निर्णय को स्थगित रखने से इंकार कर दिया था। इसके बाद कई संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद का आयोजन किया था। इसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी।