एलायंस टुडे ब्यूरो
नई दिल्ली। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि उन्नाव सामूहिक बलात्कार पीड़िता के पिता का अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, अगर पहले ही ऐसा ना किया जा चुका हो। गौरतलब है कि 18 साल की लड़की ने बीजेपी के एक विधायक, उसके भाई और उसके सहयोगियों पर उससे दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था जिसके बाद लड़की के पिता की मंगलवार को हिरासत में मौत हो गई थी। मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी द्वारा इस घटना के बारे में एक पत्र का स्वतरू संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया। पत्र में घटना की जानकारी दी गई है। अदालत ने कहा कि अगर अंतिम संस्कार नहीं किया गया हो तो ऐसा नहीं किया जाए। चतुर्वेदी ने इस जघन्य अपराध और पीड़िता के पिता की मौत की निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की। पीठ ने इस मामले पर राज्य सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए भी कहा। अदालत इस मामले में 12 अप्रैल को सुनवाई करेगा। पीठ ने महाधिवक्ता या अतिरिक्त महाधिवक्ता को सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया है ताकि अदालत को मामले के बारे और इस पर की जा रही कार्रवाई के बारे में उसे अवगत करा सकें। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या महिला के पिता का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पुलिस ने महिला के सामूहिक बलात्कार और उसके पिता की हिरासत में मौत के संबंध में मंगलवार को बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार किया था। उच्चतम न्यायालय भी उन्नाव सामूहिक बलात्कार मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।