आम लोगों के लिए राहत, अमीरों पर बोझ

हैदराबाद। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में विसंगतियों को दूर करते हुए जीएसटी काउंसिल ने अमीरों की कारों पर सेस की दर बढ़ाने और आम लोगों के इस्तेमाल की करीब ढाई दर्जन चीजों पर टैक्स में कमी करने का फैसला किया है। काउंसिल के इस कदम के बाद अब मझोली, बड़ी और एसयूवी कारें महंगी हो जाएंगी। वहीं साडि़यों के फॉल, मिट्टी की मूर्तियां, झाड़ू प्लास्टिक के रेनकोट, रबर बैंड और धूपबत्ती जैसी कई वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। काउंसिल ने केंद्रीय खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) द्वारा बेचे जाने वाले खादी उत्पादों पर जीएसटी से रियायत दे दी है। हालांकि दूसरे दुकानदारों पर बिकने वाले खादी उत्पादों पर पूर्ववत पांच फीसद टैक्स लगेगा। जीएसटी काउंसिल ने 20 इंच वाले कंप्यूटर मॉनिटर पर भी जीएसटी की दर घटाने का फैसला किया। इससे कंप्यूटर सस्ते होंगे। काउंसिल ने कंबल और किचन गैस लाइटर जैसे उत्पादों पर भी जीएसटी की दर घटायी। हाथ से बने देशी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स पर जीएसटी निल होगा।

वस्तु एवं सेवा कर लागू करने के लिए इस्तेमाल हो रहे सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र जीएसटी नेटवर्क में खामियों को देखते हुए काउंसिल ने जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा में ढिलाई देने का भी फैसला किया है। कारोबारी अब जुलाई का रिटर्न (जीएसटीआर-1) दस अक्टूबर तक दाखिल कर सकेंगे। साथ ही उन्हें कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनने के लिए भी 30 सितंबर तक वक्त दिया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में यहां हुई काउंसिल की २१वीं बैठक में ये अहम निर्णय लिये गए। बैठक में शामिल राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जीएसटी नेटवर्क के पोर्टल में तकनीकी खामियों के चलते कारोबारियों को हो रही परेशानी का मुद्दा भी उठाया जिसके बाद काउंसिल ने इस मुद्दे के हल के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाने का फैसला किया। इस मंत्रिसमूह में किन-किन राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे, यह तय करने का अधिकार काउंसिल ने जेटली को सौंपा है।

जेटली का कहना है कि यह मंत्रिसमूह नियमित रूप से जीएसटीएन के साथ संपर्क में रहेगा और अगले दो-तीन दिनों में समूह का गठन कर दिया जाएगा। काउंसिल ने सबसे अहम निर्णय लक्जरी कारों पर सेस की दर बढ़ाने का लिया है। मिड सेगमेंट की कारों पर सेस की दर में 2 प्रतिशत, बड़ी यानी लार्ज सेगमेंट की कारों पर सेस में 5 प्रतिशत और एसयूवी पर सेस में 7 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय किया है। इन कारों पर 28 फीसद जीएसटी के साथ 15 फीसद सेस पहले से ही लगता है। काउंसिल के इस फैसले के बाद मिड सेगमेंट की कारों पर अब जीएसटी व सेस मिलाकर 45 प्रतिशत, लार्ज कार पर 48 प्रतिशत और एसयूवी पर 50 प्रतिशत हो जाएगा। हालांकि आम लोगों के इस्तेमाल वाली छोटी कारों (पेट्रोल की 1200 सीसी और डीजल की 1500 सीसी) पर सेस की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसी तरह १३ सीटर वाहनों और हाइब्रिड कारों पर भी जीएसटी व सेस की वर्तमान दर ही बरकरार रखी है।

दरअसल सरकार को अमीरों की कारों पर टैक्स का बोझ बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद इन कारों के दाम दो लाख रुपये तक कम हो गए थे। इसके बाद सरकार काउंसिल ने 20वीं बैठक में सेस की दरें बढ़ाने का इरादा जाहिर किया था। सरकार ने 30 अगस्त को जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून में संशोधन के लिए एक अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी देकर सेस की अधिकतम दर १५ से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का निर्णय किया।

काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क में तकनीकी खामियों को देखते हुए रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने का भी फैसला किया है। दैनिक जागरण ने शनिवार को ही यह खबर प्रकाशित की थी कि किस तरह जीएसटीएन का पोर्टल सुस्त पड़ने से कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने में दिक्कत हुई है। काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने स्वीकार भी किया कि बैंकों ने जब रिटर्न दाखिल करना शुरू किया तो उनके रिटर्न के बोझ से जीएसटीएन का पोर्टल काफी देर तक रुक गया। काउंसिल के फैसले के अनुसार 15 मई 2017 से पहले पंजीकृत ब्रांड को जीएसटी में पंजीकृत ही माना जाएगा भले ही कारोबारी ने उसका पंजीकरण रद क्यों न करा लिया हो। काउंसिल ने यह फैसला इसलिए किया है कि खुले में मिलने वाली खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी न होने और ब्रांडेड खाद्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत जीएसटी होने के कारण कई कंपनियां अपने ब्रांड का पंजीकरण रद कराने लगी थीं ताकि टैक्स देने से बचा जा सके।

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