अच्छे दिन आये या नहीं, पर सरकार जनहित के काम तो कर रही है

2014 के आम चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों का लगाव कुछ इस कदर बढ़ा है कि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा है। मोदी सरकार को सत्ता में आये तीन साल से भी अधिक हो चुके हैं लेकिन सरकार के प्रति लोगों का विश्वास पहले की तुलना में और अधिक बढ़ता प्रतीत हो रहा है। विपक्ष इसी बात से परेशान है। उसे समझ नहीं आ रहा है कि मोदी नाम की इस सुनामी को कैसे कुंद किया जाये। नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक तमाम निर्णयों जिससे जनता को परेशानी भी हुई है, के बावजूद मोदी आजादी के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने हुए हैं।

गौरतलब है कि तीन साल पहले ‘हर हर मोदी, घर-घर मोदी’ के नारे ने लोगों के दिलोदिमाग पर एक ही छाप छोड़ी, ‘अबकी बार मोदी सरकार’। लोगों ने यह नारे नहीं लगाए, ‘अबकी बार बीजेपी सरकार’। ‘मोदी मोदी’ की गूंज ने पूरे देश में ऐसी लहर पैदा की जो सुनामी में परिवर्तित होकर पूरे विपक्ष को ही निगल गई। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक व पोरबंदर से गंगासागर तक मोदी नाम का सिक्का खूब चला। इसी का कमाल था कि आजादी के बाद पहली बार भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर आसीन हुई। खुद बीजेपी ने भी नहीं सोचा था कि पार्टी को इस प्रकार का बहुमत मिलेगा जो ऐतिहासिक होकर भारतीय राजनीति के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो जाएगा। तबसे लेकर आज तक मोदी नाम का यह तूफान मंद होने की बजाय और अधिक प्रचंड रूप लेता जा रहा है। उधर, विपक्ष है कि स्वयं कुछ करने की बजाय इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि कोई ऐसी उथल-पुथल वाली बड़ी घटना घटे जो इतना प्रलय मचाने वाली हो कि मोदी को अलोकप्रिय बना दे।

हालांकि उसकी यह मंशा हाल फिलहाल पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है। अभी हाल ही में आये एक सर्वे के मुताबिक देश की 34 प्रतिशत जनता मानती है कि पीएम मोदी अब तक के सबसे बेहतर प्रधानमंत्री हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री के रूप में सबसे अधिक 17 साल तक देश पर राज करने वाली इंदिरा गांधी को केवल 17 प्रतिशत लोग ही बेस्ट प्रधानमंत्री मानते हैं। प्रथम और दूसरे स्थान के इस फासले में करीब दोगुने का अंतर है। यह वही इंदिरा गांधी हैं जिन्हें कांग्रेसियों ने चापलूसी में ‘इंदिरा इज इंडिया और इंडिय़ा इज इंदिरा’ करार दिया था। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की तो स्थिति और भी बदतर है। वह तीसरे स्थान पर हैं। उन्हें केवल 8 प्रतिशत जनता ही बेहतर प्रधानमंत्री मानती है। मोदी की इस लोकप्रियता के संदर्भ में इसे नहीं भूलना चाहिए कि निश्चय ही इन तीन सालों में पीएम मोदी के कुछ ऐसे काम रहे जिन्होंने तमाम लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। जबकि विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध करता रहा।

सर्वे के मुताबिक कच्छ से कामरूप व कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 2014 के मुकाबले और ज्यादा बढ़ी है। अगर आज लोकसभा चुनाव हो जाएं तो एनडीए को पहले से भी ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। अकेले बीजेपी की सीटों में ही डेढ़ दर्जन का इजाफा होने का दावा किया गया है। यह सर्वे तब का है जब बिहार में नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे। अब बिहार का पूरा सियासी परिदृश्य ही बदल गया है। इसलिए भाजपा की सीटों में कुछ और अधिक इजाफे से इनकार नहीं किया जा सकता। उधर, पीएम मोदी को घेरने का विपक्ष का हर दांव उल्टा पड़ा है। चाहे वह नोटबंदी हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो या हाल फिलहाल लागू किया गया जीएसटी। नोटबंदी के दौरान विपक्ष का विरोध देश की जनता को रास नहीं आया। बैंकों के सामने घंटों लाइन में खड़ा रहने के बावजूद जनधारणा बनी कि अपना ब्लैक मनी बचाने के लिए भ्रष्टाचारी नेता मोदी के एक अच्छे काम का विरोध करने के लिए एकजुट हो गये हैं। यूपी चुनाव इसका जीता जागता प्रमाण है जहां नोटबंदी का विरोध करने वाली सपा, बसपा व कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। यह अलग बात है कि नोटबंदी से देश को या आम जनता को कितना फायदा हुआ, यह अभी तक अज्ञात है। इन तीन सालों में देश कितना बदला या लोगों की जीवनशैली में कितने सकारात्मक परिवर्तन आये यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जनता के बीच मोदी सरकार को लेकर एक उम्मीद जरूर जगी है कि यह सरकार जनहित के काम कर रही है।

पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की है वह लोगों में भरोसा जगाने और एक निर्णायक नेता की अपनी छवि बनाने में कामयाब होना। इसी के साथ उनकी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा, जबकि उनकी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान हर दिन एक नया घोटाला सामने आता था। अगर अन्य उपलब्धियों की बात की जाये तो पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जनधन योजना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, सबके लिए आवास और उज्जवला योजना को लेकर लोगों के बीच अपनी विशिष्ट छवि गढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत लगभग 25 करोड़ बैंक खाते खोले गये। वहीं उनके आह्वान पर एक करोड़ लोगों ने अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी। इसी प्रकार जीएसटी का पारित होना एक बेहद सकारात्मक कदम है।

यही कारण है कि मोदी नाम की धमक आज तक बरकरार है। तीन साल बीतने के बावजूद उनकी लोकप्रियता में किसी तरह की कमी आने के बजाय इसमें हर दिन इजाफा ही होता जा रहा है। ‘अच्छे दिन आएंगे’ की लहर पर सवार होकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष को धूल चटाकर केंद्रीय सत्ता पर आसीन हुए मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, उज्जवला योजना व जनधन योजना जैसी लोकहित योजनाओं से लोगों के मन मस्तिष्क में पूरी तरह छा गये हैं।

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